नई दिल्ली । गुजरते साल में थोक बिक्री मूल्य आधारित मुद्रास्फीति गिर कर शून्य पर आ गई और खुदरा मुद्रास्फीति आधी हो कर 4.4 प्रतिशत पर आ गई बावजूद इसके इसे नीतिगत ब्याज दरों में बहु-प्रतीक्षित कटौती के लिए पर्याप्त नहीं समझा गया। हालांकि ऊंची मुद्रास्फीति का अतीत वर्ष के दौरन आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित करता रहा। नीति-निर्माताओं का मानना है कि मुद्रास्फीति में जो कमी दिख रही है वह 'तुलनात्मक आधार का प्रभावÓ है क्योंकि पिछले साल की आलोच्य अवधि में मुद्रास्फीति काफी ऊंची थी।विश्लेषकों का मानना है कि आरबीआई, ब्याज दरों में कटौती शुरू करने से पहले नए साल में मुद्रास्फीति में की ढलान को देखना चाहेगा जबकि उद्योग और सरकार पूरे 2014 में नीतिगत ब्याज दर में कटौती की जरूरत पर जोर देती रही। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और अन्य जिंसों की कीमत गिरने के बीच संकेत है कि कम से कम खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख बरकरार रहेगा। नवंबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति 4.4 प्रतिशत रही जबकि 2014 की शुरुआत में यह करीब 9 प्रतिशत थी।