भारतीय लोकतंत्र की गंगोत्री है संसद : राष्ट्रपति

Update: 2014-02-10 00:00 GMT

नई दिल्ली | राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय संसद हमारे लोकतंत्र की गंगोत्री है। यह एक अरब से भी अधिक लोगों क महत्वकांक्षा और अभिलाषा का प्रतिनिधित्व करती है और जनता और सरकार के बीच की कड़ी है। उन्होंने कहा कि यदि गंगोत्री ही दूषित होगी तो न गंगा पवित्र रहेगी न इसकी सहायक नदियां।
मुखर्जी ने आगे कहा कि यह सभी सांसदों पर निर्भर करता है कि वे लोकतंत्र और संसदी कार्यप्रणाली के सर्वोच्च मानक बनाए रखें। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि सरकार के दूसरे अंगों की तरह संसद संप्रभु नहीं है और इसका मूल और प्राधिकार संविधान के पास है।
उन्होंने कहा कि संसद का प्रमुख कार्य कार्यपालिका पर नियंत्रण और उसे जवाबदेह बनाने के लिए जनता को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मंचों पर सशक्त बनाने के लिए कानून बनाना है। मुखर्जी ने कहा कि संसद बहस, चर्चा और निर्णयों के माध्यम से काम करती है न कि बार-बार के व्यवधान से।
उन्होंने कहा कि संसद एवं दूसरे लोकतांत्रिक संस्थानों और उनकी कार्यवाही को सशक्त बनाने के लिए जरूरी है कि सरकार, राजनीतिक पार्टियां, नेता और सांसद आत्मनिरीक्षण करें और संसदीय परंपरा और नियमों का पालन करें।
संसद के केंद्रीय कक्ष में तस्वीरों और तैल चित्रों का अनावरण करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ये सभी तस्वीरें और तैल चित्र हमें अपने कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों की याद दिलाएंगे। 

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