नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू एवं कश्मीर सरकार के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों की तुलना में किश्तवाड़ के उन दंगा पीड़ितों को अधिक मुआवजा देने की बात कही गई है, जो राज्य के मूल निवासी हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. सतशिवम एवं न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 35 (ए) के तहत राज्य के मूल निवासियों को दूसरों की तुलना में अधिक मुआवजा देना कानूनी रूप से गलत नहीं है।
न्यायमूर्ति गोगोई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इसलिए इस मामले की संवैधानिकता और वैधता की बात उठाने का अब कोई औचित्य नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने एक नागरिक की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।