भक्ति भाव से हुआ नवदुर्गा महोत्सव का समापन

Update: 2014-04-09 00:00 GMT

दतिया। चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन मॉ सिद्घिदात्री की पूजा के साथ नवदुर्गा महोत्सव का समापन हो गया, सिद्घी व मोक्ष देने वाली मॉ दुर्गा को सिद्घीदात्री कहा जाता है। नवदुर्गाओं में सबसे श्रेष्ठ यह देवी भगवान विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान हैं। नवरात्र के नौवें दिन सिद्घिदात्री की पूजा विधि विधान से करने के पश्चात् घट विसर्जन का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। महिलायें व पुरुष सिर पर जवारों को रखकर भजन व कीर्तन के साथ मंदिरों की ओर निकल पड़े। मंदिर पहुंच कर विधि पूर्वक पूजन करने के बाद शहर के तालाबों पर जवारों का विसर्जन किया। वहीं लोहे की संाग को अपने गालों में छेद कर शक्ति में लीन भक्तों की श्रद्धा भक्ति को देख आश्चर्य चकित हो गए। पूर्ण भक्तिभाव के साथ जवारे विसर्जन व मॉ सिद्घिदात्री के विधि विधान से पूजन पश्चात् नवदुर्गा श्रद्घालुओं ने मैया से सुख समृद्घि की कामना की, नवमी के दिन मैया के मंदिरों में सुबह से ही भजन कीर्तन के कार्यक्रम शुरू हो गये थे, शहर में स्थित प्रसिद्घ देवी मंंदिरों पर इस दिन श्रद्घालुओं द्वारा कन्याभोज कराया गया।
रतनगढ़ माता मंदिर पर रही भीड़
जंगल में मंगल बरसाने वाली रतनगढ़ माता मंदिर पर नवमी को बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन पहुंचे। यहां माता के जवारे चढ़ाने का दौर दिन भर चला। इस मौके पर भजन कीर्तन एवं लांगुरिया नृत्य आकर्षण का केंद्र रहे। माता मंदिर पर बड़ी संख्या पुलिस बल मौजूद था जिसके चलते कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। वहीं सात किलोमीटर दूर की गई पार्किंग व्यवस्था को लेकर लोगों में रोष रहा। 

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