नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय से आज केरल सरकार को मुल्लापेरियार बांध मामले में झटका लगा है। अदालत ने बांध की ऊंचाई 136 फुट सीमित करने वाले अधिनियम को अमान्य घोषित करते हुए कहा कि इस जल स्तर 142 फुट तक बढ़ाया जा सकता है।
माना जा रहा है कि उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से बांध को गिराकर नया बांध बनाने के केरल के प्रयासों को झटका लगा है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.एम.लोढ़ा की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने केरल सिंचाई जल संरक्षण अधिनियम को अमान्य किए जाने की घोषणा की।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि 120 साल पुराने बांध को कोई खतरा नहीं है। साथ ही न्यायालय ने तीन सदस्यीय एक समिति का गठन किया, जिसकी देखरेख में जल स्तर 136 से 142 फुट किया जाएगा।
राज्य सरकार की आशंका को दूर करते हुए न्यायालय ने कहा कि तीन सदस्यीय समिति के सदस्यों में केंद्रीय जल आयोग के प्रतिनिधियों के साथ-साथ केरल और तमिलनाडु के प्रतिनिधि भी होंगे, जो नियमित निरीक्षण करेंगे। केंद्रीय जल आयोग के प्रतिनिधि इस समिति के अध्यक्ष होंगे। गौरतलब है कि केरल इस बांध को असुरक्षित बताकर इसके स्थान पर नया बांध बनाने की वकालत करता आ रहा है।