नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दलितों को ले कर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी करने पर योग गुरु रामदेव के विरूद्ध देश के विभिन्न हिस्सों में दायर मामलों पर विराम लगाते हुए तमाम कार्यवाही पर रोक लगा दी।
प्रधान न्यायाधीश आऱ एम़ लोढा की पीठ ने तमाम राज्यों की पुलिस को नोटिस जारी किया जहां रामदेव के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। पीठ ने कहा, हम स्पष्ट कर रहे हैं कि हम मामले के गुण-दोष पर कोई राय जाहिर नहीं कर रहे हैं। अदालत का यह आदेश रामदेव की ओर से दायर एक याचिका पर आया जिसमें उनके खिलाफ किसी दबावकारी कार्रवाई पर रोक लगाने और उनकी विवादास्पद हनीमून टिप्पणी पर देश के विभिन्न हिस्सों में दायर तमाम प्राथमिकियों को एक साथ करने का आग्रह किया गया है।
इससे पूर्व, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और वकील केशव मोहन ने अदालत के समक्ष कहा कि रामदेव द्वारा गत 25 अप्रैल के संवाददाता सम्मेलन की टिप्पणियों से संबंधित शिकायतों और प्राथमिकियों को एक साथ कर देना चाहिए और लखनउ या उच्चतम न्यायालय अपनी पसंद से किसी जगह पर उनकी सुनवाई करायी जाये। रामदेव ने यह भी आग्रह किया कि अदालतों और पुलिस को योगगुरू के खिलाफ दायर प्राथमिकियों के आधार पर उनके खिलाफ कोई दबावकारी कार्रवाई करने से रोका जाए।
गौरतलब हो कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ रामदेव की टिप्पणी पर विभिन्न पार्टियों और संगठनों ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने रामदेव की टिप्पणी को दलित विरोधी करार दिया था। रामदेव के खिलाफ पहली प्राथमिकी लखनऊ के महानगर पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 171-जी- के तहत दर्ज की गयी थी।
पुलिस ने रामदेव के बयान के वीडियो फुटेज का विश्लेषण के बाद यह प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके बाद, कई अन्य राज्यों में भी योगगुरु बाबा रामदेव के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज कराई गईं।