उत्तरी ग्रिड के फेल होने का खतरा, अंधेरे की गिरफ्त में सकता है उत्तर भारत

Update: 2014-06-12 00:00 GMT

नई दिल्ली। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने दिल्ली में बिजट संकट अगले कुछ दिन में दूर हो जाने का भरोसा दिलाया है, मगर कम बारिश और देशभर के बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी के कारण उत्तर भारत में बिजली संकट उत्पन्न हो सकता है। ऊर्जा मंत्रालय के आंकडों के मुताबिक 21 बिजली संयंत्रों में में चार दिन से भी कम का कोयला बचा है। अन्य 15 बिजली संयंत्रों के पास भी 7 दिन से कम का कोयला है। ये बिजली संयंत्र करीब 55 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन करते हैं, जो देश के कुल ऊर्जा उत्पादन का 20 फीसदी है। इन बिजली संयंत्रों में से 6 एनटीपीसी के हैं जो दिल्ली समेत उत्तर भारत को बिजली सप्लाई करते हैं। इन बिजली संयंत्रों के पास कोयला ही नहीं बचा है। ये न्यूनतम कोयला आपूर्ति के आधार पर बिजली पैदा कर रहे हैं।
अधिकारी उत्तरी ग्रिड से यूपी और हरियाणा को हो रही सप्लाई पर नजर रखे हुए हैं ताकि अगस्त 2012 जैसे हालात पैदा ना हों। अगस्त 2012 में उत्तरी ग्रिड के फेल होने के कारण उत्तर और पूर्वी भारत के 60 करोड लोग 24 घंटे तक अंधेरे में रहे थे। बारिश में देरी, बिजली संयंत्रों को कोयले की कम आपूर्ति और बेहतर ग्रिड प्रबंधन से डील के लिए केन्द्रीय ऊर्जा सचिव पीके सिन्हा ने गुरूवार को बैठक बुुलाई है ताकि आकस्मिक प्लान तैयार किया जा सके।
एक अखबार के मुताबिक यूपी उत्तरी ग्रिड से तय मानक से ज्यादा बिजली ले रहा है, जिसके चलते ग्रिड पर दबाव बढ गया है। यूपी प्रतिदिन 6400 मेगावाट बिजली ले सकता है लेकिन उसने बुधवार को 300-500 मेगावाट ज्यादा बिजली ली। इससे उत्तरी ग्रिड के फेल होने का संकट बढ गया है।

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