अशोकनगर । प्रदेश व्यापी स्कूल चलो अभियान का आगाज आज सोमवार से जिले में होना है। इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा भले ही व्यापक इंतजामों का जिम्मा अधिकारियों को दे दिया हो मगर अभियान की शुरूआत से एक दिन पहले तक स्कूलों की दहलीज से व्यवस्थाएं दूर ही हैं। ऐसे में अभियान की कई दिनों से की जा रहीं तैयारियों की हवा निकलती दिखाई दे रही है। इस अभियान की तैयारियों के सन्दर्भ में हम दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्र तो दूर एक बानगी के तौर पर जिला मुख्यालय के स्कूलों को ही देखे तो पता चलेगा कि स्कूलों में गंदगी, पेयजल की समस्या, स्कूल कक्षों में मकड़ी के जाल, मैदान में गंदगी का भण्डार रविार की देर सायं तक बना रहा। जबकि सुबह से स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलाने की शुरूआत होना है। ऐसे में स्कूली बच्चों के लिए व्यवस्थाओं को ऐन वक्त में कैसे पूरा कर लिया जाएगा। स्कूलों की धरातल पर दिखी तस्वीर तो यही वयां कर रही है कि महज कोरी खाना पूर्ति करके अभियान की भरपाई भर की जाना है।
स्कूलों में गंदगी, किचिन में मकडिय़ों के जाल:
सरकारी स्कूलों के प्रति वैसे भी आम लोगों का नजरिया ऐसा रहता है कि गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों के लिए ही सरकारी स्कूल संचालित हो रहे हो। शहर के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र अन्तर्गत आने वाले गोरा घाट पर शासकीय प्राथमिक विद्यालय है। यहां स्कूल का भवन भी है, किचिनशेड, शौचालय व मैदान भी है। सायं 4 बजे तक यहां मैदान में गंदगी ऐसी थी, मानो यहीं कचराघर हो। इसके अलावा साफ-सफाई का तो कोई ध्यान ही नही दिया गया है। इसके अलावा कक्षों में पसरी धूल और पेयजल के भी कोई इंतजाम स्कूल के आसपास नजर नही आ रहा है।
दिया तले अंधेरा:
जिला शिक्षा अधिकारी और डीपीसी कार्यालय के पीछे बने आलीशान भवन की पहचान माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-2 के रूप में होती है। यहां भी सोमवार को प्रवेश उत्सव मनाया जाना है। इस लिहाज से उत्सव की तैयारियों से पहले की तैयारियों का होना कितना सार्थक हुआ है। इसकी बानकी रविवार को देखने को मिली, जब मैदान में कचरे के ढेर, कक्षों में मकड़ी के जाल, पेयजल की टंकी में भरा कई दिनों पुराना पानी, बर्तनों पर चढ़ी धूल, कुछ कमरों में किताबों का कबाड़ा, टूटी-फूटी कांच की बोतलें, शौचालयों के टूटे गेंट, किचिन शेड में लटक रहे मकडिय़ों के जाल तैयारियों को झुठला रहे हैं। यह वह स्थान है जहां जिम्मेदार अधिकारी स्वयं बैठे है, जिन पर जिले भर की व्यवस्थाओं का जिम्मा है। इनके द्वारा दूरस्थ इलाकों में उत्सव की तैयारियों का जायजा लिया जा रहा है। मगर पास में स्थित स्कूल के हालत से वह बे-खबर हैं। जो दिया तले अंधेरा वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है।
25 हजार बच्चों का लक्ष्य:
नवीन शिक्षा सत्र में प्रवेश दिलाने के लिये लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। जिले में कक्षा पहली में 13193 बालकों और 22901 बालिकाओं सहित कुल 25094 को प्रवेश दिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया जा चुका है। इसी तरह कक्षा छटवीं में 11769 बालकों और 11570 बालिकाओं सहित 23339 को प्रवेश दिलाना सुनिश्चित किया जाएगा। वहीं कक्षा 9 वीं में 8297 बालकों और 5899 बालिकाओं सहित कुल 14196 बालक बालिकाओं को अभियान के तहत प्रवेश दिलानेे के लिये लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
पुस्तकें नहीं पहुंची:
स्कूली बच्चों को नि:शुल्क पुस्तकें, गणवेश वितरण और नि:शुल्क साइकिल वितरण करके प्रवेश उत्सव मनाया जाना है। इसके लिए शालाओं में शिक्षकों की उपस्थिति नियमित एवं समय पर सुनिश्चित करने के लिये एज्यूकेशन पोर्टल पर उपलब्ध मॉडयूल के माध्यम से मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिये है। लेकिन कई स्कूलों की दहलीज तक शिक्षक अभी तक तो नही पहुंचे हैं। ऐसे में नि:शुल्क किताबे और गणवेश की राशि और साइकिलों के वितरण की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ऐसे मनाना है प्रवेश उत्सव:
प्रदेश व्यापी स्कूल चलें हम अभियान के तहत जिले में भी सोमवार 16 जून को सभी शालाओं में प्रवेश उत्सव आयोजित किया जा रहा है। इसके लिए कलेक्टर आरबी प्रजापति ने सभी शिक्षकों को अपने-अपने स्कूलों में अनिवार्य रूप से उपस्थित होकर प्रवेश उत्सव का आह्वान किया है। उत्सव से दो दिन पहले उन्होंने जिला पंचायत के सभा कक्ष में आयोजन को लेकर आवश्क निर्देश दिए है। जिसमें उन्होंने कहा कि अभियान के तहत शालेय छात्र-छात्राओं की प्रभात फेरी भी निकाली जाएगी। इसके अलावा शालाओं में आयोजित प्रवेश उत्सव में जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाए। स्वसहायता समूहों को तत्काल सूचित किया जाए कि स्कूलों में 16 जून को मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के तहत विशेष भोजन तैयार करना होगा। प्रभात फेरी के पश्चात स्कूल पहुंचने के बाद छात्र-छात्राओं को विशेष भोजन प्रदाय किया जाएगा। छात्र-छात्राओं के साथ जनप्रतिनिधि, जिला, अनुविभाग, तहसील, खंड स्तरीय अधिकारी भी भोजन करेंगे ताकि इस अवसर पर परोसे गये भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। श्री प्रजापति ने प्रवेश उत्सव के दौरान स्वच्छ ठंडा पीने का पानी उपलब्ध कराने पर बल दिया। कलेक्टर ने कहा कि प्रवेश उत्सव में शामिल कोई छात्र-छात्रा यदि मध्यान्ह भोजन ग्रहण करने के पश्चात बीमार होता है तो संबंधित संस्था प्रमुख, प्राचार्य जिम्मेदार होंगे। शिक्षक रविवार को ऐसे अभिभावकों से संपर्क कर लें, जिनके बच्चे किसी कारण से विगत वर्ष में स्कूल छोड़ चुके हों और इन अभिभावकों को समझायें कि वे सोमबार को प्रवेश उत्सव में अपने बच्चे को शाला में प्रवेश दिलायें।