भारतीय अंतरिक्ष तकनीक मानवता के लिए काम करता है न कि सत्ता के लिए : मोदी

Update: 2014-06-30 00:00 GMT

श्रीहरिकोटा | श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी सी-23 के सफल प्रक्षेपण पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि इस उपलब्धि से सभी भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। मैं उनके चेहरों पर खुशी और संतुष्टि का भाव देख रहा हूं। व्यक्तिगत रुप से इसे देखकर मैं अपने आप को खुशकिस्मत महसूस कर रहा हूं। अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की विश्व में साख है। इस सफलता से हमने उत्कृष्टता हासिल की है और सामान्य होने की अवधारणा को समाप्त कर दिया है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हमने आज के परीक्षण में विकसित देशों के उपग्रह को अंतरिक्ष भेजा है। यह हमारी अंतरिक्ष क्षमताओं का वास्तविक तौर पर वैश्विक अनुमोदन है। हमें गर्व है कि हमारा कार्यक्रम स्वदेशी है और विश्व में सबसे कम लागत वाला है। भारत के मंगल मिशन में हालीवुड फिल्म ‘ग्रेविटी’ के निर्माण से भी कम लागत आई है। भारत को आत्मनिर्भर स्पेस पावर बनाने में वैज्ञानिकों की कई पीढ़ियों ने काम किया है। साधारण शुरुआत से लेकर अब तक हमारी अंतरिक्ष यात्रा ने लंबा मुकाम तय किया है।
उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने दूसरों से काफी पहले ‘शून्य’ और ‘उड़ने वाले पदार्थ’ का विचार दिया था। मैं वैज्ञानिकों को बधाई देता हूं। प्रयोगशाला में उन्होंने जो साधना की उसमें लाखों लोगों का जीवन बदलने की क्षमता है। इस तरह की तकनीक आम आदमी से बुनियादी तौर पर जुड़ी है। यह बदलाव के एक दूत के तौर पर उनका जीवन बदल सकती है, उन्हें सशक्त बना सकती है। 125 करोड़ कनेक्टेड भारतीयों की शक्ति डिजिटल भारत के सपने को साकार करने में तकनीक को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। जीआईएस तकनीक ने नीति योजना, कार्यान्वयन को बदल दिया है। स्पेस इमेजिंग ने आधुनिक प्रबंधन, जल संसाधनों के प्रबंधन में काफी मदद की है। आपदा प्रबंधन में भी स्पेस तकनीक एक अनमोल संपत्ति साबित हुआ है।
मोदी ने कहा कि उपग्रह संचार चैनल कई बार संचार के एकमात्र जरिया साबित होते हैं। अचूक अग्रिम चेतावनी और हाल ही में में तूफान फैलिन का पता लगा लिए जाने से कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकी। मैं अंतरिक्ष विभाग से अनुरोध करता हूं कि सभी हिस्सेदारों का सहयोग लेते हुए शासन प्रणाली और विकास कार्यो में अंतरिक्ष विज्ञान का अधिकतम इस्तेमाल करें। भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम मानवता की सेवा की दूरदृष्टि से काम करता है। यह सत्ता हासिल करने के विचार से काम नहीं करता है।
मैं आज अंतरिक्ष समुदाय से अनुरोध करता हूं कि दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का उपग्रह विकसित करने की चुनौती स्वीकार करें। इससे हमारे सभी पड़ोसी देशों को लाभ होगा। हमारे उपग्रह आधारित नेविगेशन सिस्टम में पूरे दक्षिण एशिया को समाहित करें। अंतरिक्ष विज्ञान में लगातार विकास राष्ट्रीय मिशन होना चाहिए। हमें लगातार अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं में बढ़ोत्तरी करनी होगी। भारत में दुनिया को प्रक्षेपण सेवा उपलब्ध कराने की क्षमता है। हमें इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अवश्य काम करना है। यहां अपने युवा वैज्ञानिकों से मिल कर मुझे काफी खुशी हो रही है। मैं उनके कामों और उनकी उपलब्धि की प्रशंसा करता हूं। मैंने वैज्ञानिकों की चार पीढ़ियों से मुलाकात की जो प्रगति का बड़ा सूचक है।
हम अत्याधुनिक डिजिटल स्पेस म्यूजियम विकसित करने की दिशा में सोच सकते हैं। तकनीक विकास से जुड़ी हुई है। यह हम सभी के जीवन से जुड़ा है और हमारी राष्ट्रीय प्रगति का महत्वपूर्ण उपकरण है।

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