नई दिल्ली | इस वर्ष देश के कई हिस्सों में सूखे का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि कमजोर मानसून के अनुमान को आधार मिल रहा है। इससे खाद्य फसलों के उत्पादन में गिरावट तथा पानी एवं बिजली के मोर्चे पर संभावित संकट की आशंका बढ़ी है।
देश भर में एकत्रित की गई रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों में सूखे जैसी स्थिति की आशंका में अभी तक कोई बुवाई शुरू नहीं हो पाई है। मौसम विभाग के अनुसार अभी तक देश में बारिश 43 फीसद कम रही है।
राज्यों के अधिकारियों ने संभावित हानि की स्थिति से निकलने के प्रति सावधान हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि मानसून की स्थिति में देर से सुधार होगा और पूर्वार्ध की हानि की भरपाई होगी।
कमजोर मानसून की खबरों के कारण पहले ही खाद्य जिंसों, सब्जियों और फलों की कीमतों में तेजी आई हुई है। केन्द्र ने इन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास कर रहा है। इसके अलावा यदि राज्यों द्वारा सूखे की घोषणा की जाती है तो किसानों को डीजल और बीज सब्सिडी जैसे कई उपायों की योजना बनाई जा रही है।
दूसरी ओर सरकार ने आवश्यक जिंस कानून में संशोधन जैसे कई सारे उपाय किये हैं ताकि जमाखोरी और कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। सत्ता संभालने के तुरंत बाद चुनौतियों का सामना करते हुए केन्द्र की नई सरकार ने राज्यों के सहयोग से बेहतर की उम्मीद करते हुए भी 500 प्रमुख उत्पादक जिलों के लिए आपदा योजना बनाई गई है। केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार बुवाई अभियान के अलावा कमजोर बरसात ने देश भर में जल संभरण स्तर को प्रभावित किया है। गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के जलाशयों में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में पानी के कम स्तर की खबर हैं। सतर्कता का रख अख्तियार करते हुए भारतीय मौसम विभाग ने कमजोर मानसून यानी दीर्घावधिक औसत का 93 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है।