मुंबई | बैंकों में गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के बढ़ते मामलों के मद्देनजर वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह ऐसे मामलों में जहां एक प्रवर्तक जानबूझकर डिफाल्टर बन जाता है, बैंकों को धन वसूलने में मदद के लिए संबद्ध कानूनों में संशोधन की योजना बना रहा है।
वित्तीय सेवा सचिव जीएस संधू ने कहा कि डूबते ऋणों के मुद्दे से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए सिक्युरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन आफ फाइनेंशियल असेट्स एंड इनफोर्समेंट आफ सिक्युरिटी इंटरेस्ट एक्ट (सरफेसी) एवं ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) कानूनों में संशोधन की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इन कानूनों में प्रस्तावित संशोधन से बैंक उन मामलों में बलपूर्वक एक नया प्रबंधन लाने के लिए सशक्त होंगे जहां एक प्रवर्तक ने जानबूझकर रिण चुकाने में चूक की है। नए कानून संसद के शीतकालीन सत्र में लाए जा सकते हैं। संधू ने कहा कि हमने सरफेसी और डीआरटी कानूनों में संशोधन की कवायद की है। इन कानूनों में कई खामियां हैं जिन्हें हमें दूर करने की जरूरत है क्योंकि इन खामियों की वजह से उधार लेने वाले अक्सर लंबा मुकदमा लड़ते हैं और पैसा बैंकों के पास वापस नहीं आता।