नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं बीएमओ,मामला स्वास्थ्य केन्द्र का
अशोक शर्मा / फूफ। फूफ में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मरीजों को इलाज देने के बजाय बीमारियां परोस रहा है। यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों को कभी भी चिकित्सक समय पर उपलब्ध नहीं मिलते हैं। पिछले आठ सालों से पदस्थ बीएमओ स्वयं का क्लीनिक चलाते हैं, जिससे वे यहां कभी कभाध ही आते हैं।
यहां स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक ही मनमानी नहीं कर रहे हैं, बल्कि यहां तैनात अधिकांश कर्मचारी भी मुख्यालय पर नहीं रुकते हैं, कम्पाउण्ड, ड्रेसर, नर्सें मौज-मस्ती में लगे रहते हैं, म.प्र. शासन के नियमानुसार 60 वर्ष से ऊपर के मरीजों के पर्चे नि:शुल्क बनाकर उनका इलाज नि:शुल्क किया जाना चाहिए लेकिन शासन के नियमों को ताक पर रखकर यहां जबरिया पर्चा बनाने के नाम पर पांच रुपए प्रति मरीज वसूला जाता है। इतना ही नहीं डॉ. बी.के. शर्मा मरीजों को देखते ही नहीं हैं। मरीजों व गर्भवती महिलाओं के लिए जनरेटर की व्यवस्था तो है लेकन वह चलता नहीं है, फर्जी बिल बाऊचर बनाकर स्वयं हजारों रुपए का भुगतान कर लिया जाता है। अस्पताल में सफाई भी कोई व्यवस्था नहीं है।
इन सारी समस्या के संबंध में जिला स्वास्थ्य अधिकारी राकेश शर्मा को कई बार अवगत कराया जा चुका है। लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। प्रसव पीड़ा से कई महिलाएं बेहद परेशान देखी गई हैं, अस्पताल में तैनात स्टाफ का व्यवहार महिलाओं के साथ अच्छा न होने से कई मरीज जिला अस्पताल को रिफर होकर चले जाते हैं। नवयुवक संगठन फूफ ने मांग की है कि यदि सात दिन में दोषी चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो फूफ अस्पातल का घेराव कर तालाबंदी की जाएगी। जिसकी जवाबदारी शासन व प्रशासन की होगी।