नई दिल्ली | देश के 9 राज्यों की 33 विधानसभा सीटों पर और तीन लोकसभा सीटों पर मतदान चल रहा है। उत्तरप्रदेश की 11, गुजरात की 9, राजस्थान की 4, असम की 3, पश्चिम बंगाल की 2 और आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, सिक्किम, त्रिपुरा की एक-एक सीट पर मतदान जारी है, इसके अलावा गुजरात की बडोदरा, तेलंगाना की मेढक और उत्तरप्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव के लिए मतदान हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी सीट रखने का फैसला करने के बाद लोकसभा की बडोदरा सीट खाली हुई थी। इसी प्रकार तेलंगाना का मुख्यमंत्री बन जाने के बाद के चन्द्रशेखर राव ने तेलंगाना की मेढ़क सीट से इस्तीफा दे दिया था। उत्तरप्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के इस्तीफे से खाली हुई थी। उपचुनाव के वोटों की गिनती 16 सितंबर को होगी।
इस साल मई में सत्ता में आने के बाद से इस उपचुनाव को नरेंद्र मोदी सरकार की लोकप्रियता की एक और बड़ी परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले बिहार में हुए उपचुनाव की भी तुलना मोदी की लोकप्रियता से की गई थी। जहां भाजपा को 10 विधानसभा सीटों में से चार सीटों पर जीत हासिल हुईं थी।
उत्तर प्रदेश में भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी का काफी कुछ दांव पर है क्योंकि गत मई में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने लोकसभा की 80 में से 73 सीटें जीत ली थीं। तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल की दो विधासभा सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए संघर्ष कर रही है। वहां सारदा चिटफंट घोटाले की आंच तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं तक पहुंचने के बीच ये उपचुनाव हो रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में जहां मैनपुरी लोकसभा सीट पर कब्जा बरकरार रखना समाजवादी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है, वहीं राज्य की 11 विधानसभा सीटों पर अपना वर्चस्व कायम रखना भाजपा के लिए भी बड़ी चुनौती है। मैनपुरी लोकसभा सीट मुलायम सिंह यादव के इस्तीफा देने से खाली हुई है। यादव ने आजमगढ़ सीट से भी चुनाव में जीत हासिल की थी।
सपा ने मैनपुरी सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए अपना सबकुछ झोंक दिया है क्योंकि वहां से मुलायम के बड़े भाई के पौत्र तेज प्रताप सिंह यादव मैदान में हैं। सपा के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना ही सिर्फ चुनौती नहीं है बल्कि उसे जीत के उस अंतर को भी बरकरार रखना है जिससे मुलायम जीते थे।
मैनपुरी में बसपा और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। इससे तेज प्रताप सिंह और भाजपा के शिव सिंह शाक्य के बीच वहां सीधा मुकाबला है। लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीतने वाली बसपा उपचुनाव नहीं लड़ रही है। कांग्रेस और सपा ने सभी 11 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं और भाजपा 10 सीटों पर जबकि उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल एक सीट पर चुनाव लड़ रही है।
उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे इस बात का संकेत देंगे कि साल 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले किस ओर राजनैतिक हवा बह रही है। जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं उसमें सहारनपुर नगर, नोएडा, ठाकुरदुआरा, बिजनौर, निघासन, बल्हा, सिराथू, रोहनिया, हमीरपुर, चरखारी और लखनउ पूर्व शामिल हैं। इन सभी सीटों को भाजपा विधायकों ने खाली किया है, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी।
गुजरात में नरेंद्र मोदी की उत्तराधिकारी बनीं आनंदी बेन पटेल के लिए वड़ोदरा लोकसभा सीट और राज्य की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव पहली बड़ी परीक्षा है। 12 वर्षों से अधिक समय में गुजरात में यह पहला चुनाव होगा जब भाजपा अपने स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिना यह चुनाव लड़ेगी। मेडक लोकसभा सीट पर टीआरएस, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। उपचुनाव की जरूरत टीआरएस प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के इस्तीफे की वजह से पड़ी है।