भारतीय समाज में बसा है अहिंसा का डीएनए: मोदी

Update: 2014-09-02 00:00 GMT

टोक्यो। अपनी पांच दिवसीय जापान दौरे के तीसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि शांति और अहिंसा के लिए देश की प्रतिबद्धता भारतीय समाज के डीएनए में रची-बसी है, जो किसी भी अंतरराष्ट्रीय संधि या प्रक्रियाओं से बहुत ऊपर है। प्रधानमंत्री मोदी ने सैक्रेड हार्ट विश्वविद्यालय में एक छात्र के प्रश्न के जवाब में कहा, भारत भगवान बुद्ध की धरती है। बुद्ध शांति के लिए जिये और हमेशा शांति का पैगाम दिया तथा यह संदेश भारत में गहराई तक अपनी छाप छोड़ चुकी है। विद्यार्थियों से संवाद के दौरान उनसे पूछा गया था कि परमाणु अप्रसार संधि पर अपना रुख बदले बिना भारत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का विश्वास कैसे हासिल करेगा। परमाणु हथियार रखने के बावजूद भारत इस संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर चुका है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अहिंसा के लिए भारत की पूर्ण प्रतिबद्धता है और यह भारतीय समाज के डीएनए में रची बसी है तथा यह किसी भी अंतरराष्ट्रीय संधि से बहुत उपर है। उनका संदर्भ भारत के, परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार की ओर था। मोदी ने संधियों से उपर उठने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, अंतरराष्ट्रीय मामलों में, कुछ प्रक्रियाएं होती हैं। लेकिन समाज की प्रतिबद्धता सबसे उपर है।
विदित हो कि जापान दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां परमाणु बम गिराया गया था। फिलहाल जापान की यात्रा पर आए मोदी ने इस अवसर का उपयोग करते हुए टोक्यो के साथ असैन्य परमाणु करार करने के प्रयासों के बीच इस मुद्दे पर अपना यह संदेश दिया। भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है क्योंकि वह इसे खामीयुक्त मानता है।
अपनी बात पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में पूरे समाज के साथ अहिंसा के लिए प्रतिबद्ध रहते हुए भारत ने इस तरह स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया कि पूरी दुनिया आश्चर्यचकित रह गई। उन्होंने कहा कि हजारों साल से भारत की आस्था सूत्र वाक्य वसुधैव कुटुम्बकम (पूरी दुनिया एक परिवार है) में रही है। जब हम पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हैं तो हम ऐसा कुछ करने की कैसे सोच सकते हैं जिससे किसी को नुकसान हो। मोदी ने अपने संवाद के दौरान विद्यार्थियों को एक काल्पनिक कहानी सुनाई, कल्पना कीजिये, कमरे में पूरी तरह अंधेरा है। इस अंधेरे को दूर करने के लिए एक व्यक्ति झाडू लेकर कमरे में जाता है, लेकिन वह गिर जाएगा । दूसरा व्यक्ति तलवार लेकर अंधेरा दूर करने अंदर जाता है। वह भी गिर जाएगा। एक अन्य व्यक्ति कंबल ले कर अंधेरा दूर करने के लिए अंदर जाता है, किंतु वह भी गिर जाएगा। तब एक चतुर आदमी छोटा सा दीपक लेकर अंदर जाता है और फिर, फिर अंधेरा दूर हो जाता है। शांति, समृद्धि और लोकतंत्र का दीपक कभी भी अंधेरे से नहीं डरेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां ईश्वर देवी के रूप में हैं । एक मंत्रिमंडल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा का संबंध देवी सरस्वती से, वित्त का संबंधी देवी लक्ष्मी से, गृह संबंधी मामलों का सरोकार देवी महाकाली से और खाद्य सुरक्षा का संबंध देवी अन्नपूर्णा से है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में स्थानीय निकायों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण प्राप्त है। मोदी ने लड़कियों की शिक्षा के प्रति अपने निजी रुझान के बारे में भी बताया । उन्होंने कहा कि जब वह प्रधानमंत्री बने तो गुजरात छोड़ते समय उन्होंने, अपने 14 साल के मुख्यमंत्रित्व काल में मिले सभी उपहारों की नीलामी की। इस नीलामी से 78 करोड़ रुपये एकत्र हुए और वह राशि लड़कियों की शिक्षा के लिए उपयोग की खातिर सरकारी कोष में जमा कर दी गई। 

भारतीय समाज में बसा है अहिंसा का डीएनए: मोदी

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