भोपाल । देश में आधुनिक तकनीक का उपयोग एवं उसका लाभ उठाते हुए अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर एक कदम आगे बढ़ाते हुये देश की एक अति महत्वपूर्ण योजना मनरेगा को आधुनिक बनाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। जानकारी के अनुसार देश में 2500 जनपद पंचायतें आईपीपीई के तहत कार्य करेंगी, जिनमें मध्यप्रदेश की 180 जनपदों को भी उक्त योजना से जोड़ा गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पायलट प्रोजक्ट के रूप में उक्त जनपदों को आईपीपीई में जोड़ा गया है।
उक्त कार्य से जहां विरोधियों द्वारा लगातार मनरेगा को बंद करने की केन्द्र सरकार की योजना जैसे भ्रम एवं प्रश्रों पर विराम लग रहा है तो वहीं आईपीपीई के दायरे में आने से मनरेगा में अधिक पारदर्शिता आने का संकेत माना जा रहा है। जानकार बताते हैं कि उक्त योजना के लागू होने से जहां एक ओर मनरेगा में होने वाली अनिमिताताओं पर अंकुश लगेगा तो वहीं मजदूरों की मजदूरी का भुगतान समय सीमा में होगा।
क्या है आईपीपीई
मनरेगा को देश की कुछ चुनिंदा पंचायतों को आईपीपीई से जोड़ा जा चुका है। लोगों के मन में यह बात उभर रही है कि आखिर यह आईपीपीई आखिर है क्या? अगर हिन्दी में देखें तो सरकार ने इसको सघन, सहभागी, न्योजन योजना का नाम दिया है। इसकी विशेषता है कि इसमें मोबाइल मानिटरिंग सिस्टम लागू होगा। कार्य स्थल से ही लाइव डाटा के साथ ही रियल टाइम ऑनलाइन डाटा उपलब्ध होगा। वहीं परिसम्पत्तियों निर्माण कार्यों का सत्यापन एवं लोकेशन जीओ टेगिंग के माध्यम से उपलब्ध रहेगा।
आईपीपीई कैसे करेगा कार्य
उक्त महत्वपूर्ण योजना आईपीपीई के लिये केन्द्र सरकार द्वारा मनरेगा में कार्य करने वाले मैदानी अमले को टेबलेट एवं मोबाइल देने का प्रावधान रखा गया है जिसकी कीमत दस हजार रूपये होगी। इसके साथ एक सिम भी दी जायेगी जो कि जीपीआरएस सिस्टम से संचालित होगी। इसकी डिवाइस एनआईसी के माध्यम से केन्द्र सरकार के सर्वर से जुड़ी रहेगी।
केन्द्र सरकार द्वारा अतिरिक्त राशि
प्राप्त जानकारी के अनुसार आईपीपीई के लिये प्रयोग किये जाने वाले टेबलेट एवं मोबाइल के लिये केन्द्र सरकार प्रदेश सरकार को दो किस्तों में 25 करोड की राशि प्रदान करेगी। जो कि 6 प्रतिशत प्रशासनिक मद से ऊपर होगा।