मुख्यमंत्री ने मंत्री व अधिकारियों से पूछा, किसानों की आमदनी कैसे बढ़े

Update: 2015-10-31 00:00 GMT

भोपाल। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने यहां प्रशासन अकादमी में आईएएस, आईपीएस व आईएफएस अधिकारियों की समूह चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि इन अधिकारियों ने प्रदेश में खेती और किसान की स्थिति का आकलन करने के लिये तीन दिन तक गाँवों का दौरा किया है। तीनों अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी अपने काम के साथ खेती को बेहतर बनाने के इस अभियान से जुड़े रहें। मुख्यमंत्री ने कहा है कि मध्यप्रदेश से खेती को बेहतर बनाने और किसान को फायदे में लाने का रास्ता निकलेगा। यह रास्ता भारत की खेती को नयी दिशा देगा।
श्री चौहान ने कहा कि गाँवों का दौरा कर अधिकारियों ने व्यावहारिक समस्याएँ और समाधान सुझाये हैं। ये अधिकारी अपनी प्रतिभा का उपयोग कर खेती और किसान की दशा बदलने के उपाय सुझायें। उन्होंने कहा कि कुछ प्रश्नों पर विचार करना होगा कि जब फसल खराब होती है तो किसान की स्थिति बिगड़ती है। परन्तु जब फसल अच्छी होती है तब भी किसान को बहुत कम लाभ होता है। कृषि में लगने वाले इनपुट की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और किसान की आमदनी घट रही है। खाद-बीज और कीटनाशकों के उपयोग के लिए किसानों को मार्गदर्शन देने की व्यवस्था नहीं है। किसान समझ नहीं पाता कि किस वक्त और कितनी मात्रा में कौन सा खाद या कीटनाशक उपयोग करना है। मैदानी स्तर पर कृषि-विस्तार और मार्गदर्शन की व्यवस्था नए ढंग से खड़ी करना होगी। कृषि विश्व विद्यालय के विद्यार्थियों और वैज्ञानिकों को किसानों से  जोडऩा होगा। इस पर भी विचार करें कि किसानों के लिये फसल बीमा कैसे उपयोगी और प्रभावी बने। क्योंकि किसानों को पता नहीं होता कि किस फसल के लिये कितनी बीमा राशि उससे ली गयी है। अऋणी किसान का बीमा कैसे हो, इस पर भी विचार करें।
श्री चौहान ने कहा है कि बिजली की पर्याप्त उपलब्धता होने के बाद भी बिजली आपूर्ति में समस्याएँ आ रही हैं। ट्रांसफार्मर जल जाने के बाद बदलने में देरी, बिलों का त्रुटिपूर्ण होना, अस्थाई कनेक्शन की अवधि चार माह होना जैसी समस्याएँ हैं। इस व्यवस्था को सुधारना होगा। उन्होंने कहा कि यह भी पता चला है कि जिन किसानों ने खेत में मिश्रित फसल बोई थी उन्हें एक ही फसल बोने वाले किसान की तुलना में कम नुकसान हुआ है। किसानों को उपज का सही मूल्य बिचौलियों के कारण नहीं मिल पाता है। इसके लिए मंडियों की व्यवस्था सुधारना होगी। जहाँ हाल ही में पानी गिरा है और बोवनी की जा सकती है वहाँ खाद-बीज की व्यवस्था करना होगी। सूखे को देखते हुए पेयजल की व्यवस्था करना होगी। साथ ही भू-जल स्तर बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर तालाब निर्माण और नदियों के जल को रोकने की व्यवस्था करना होगी। उन्होंने कहा कि गाँव में दौरे पर गए सभी अधिकारियों ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सुव्यवस्थित होने की जानकारी दी और बताया है कि इसके जरिये गरीबों को समय से सस्ता राशन मिल रहा है। बैंकों द्वारा गरीबों को विभिन्न योजनाओं में मदद, मजदूरी और अनुदान भुगतान की प्रक्रिया पर विचार करना होगा। इसमें देरी होने की शिकायतें मिली हैं। मिट्टी परीक्षण प्रयोग के परिणाम किसानों तक शीघ्र पहुँचाने की व्यवस्था करना होगी। यह भी विचार करना होगा कि छोटी जोत के किसान कैसे सफल हों और उनके पास वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था हो। रोजगार देने वाली योजनाओं के क्रियान्वयन की लगातार मॉनीटरिंग करना होगी।

मुख्य सचिव श्री अन्टोनी डिसा ने कहा कि समूह चर्चा के लिए क्षेत्रवार अधिकारियों के पाँच समूह बनाए गए हैं। ये समूह इंदौर-उज्जैन, भोपाल-नर्मदापुरम, चंबल-ग्वालियर-सागर, जबलपुर, रीवा-शहडोल संभाग के हैं। इन समूहों में मंत्रीगण भी शामिल हो सकेंगे। कार्यक्रम में मंत्रीगण तथा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज भी प्रशासन अकादमी में अधिकारियों से वन-टू-वन चर्चा कर गाँवों के दौरे का फीडबेक लिया।

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