भ्रष्ट अधिकारियों पर होगी सख्त कार्रवाई: प्रवीर

Update: 2015-10-04 00:00 GMT

मामला रेशम विभाग में हुए भ्रष्टाचार का


भोपाल। राज्य शासन कुकून, रेशम धागा और वस्त्र उत्पादन की योजना के क्रियान्वयन के मामले की जांच में दोषी पाये गये अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने जा रहा है। भ्रष्टाचार से जुड़े इस प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए पूरे मामले को शीघ्र लोकायुक्त को सौंपा जाएगा। यह जानकारी प्रमुख सचिव ग्रामोद्योग प्रवीर कृष्ण ने दी।
प्रवीर कृष्ण के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विगत सप्ताह वरिष्ठ अधिकारियों को गम्भीर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार से संबंधित प्रकरणों में स्व-स्फूर्त होकर कार्यवाही करने के स्पष्ट निर्देश दिये थे। राज्य शासन की मंशा है कि समस्त विभाग प्रमुख एवं वरिष्ठ अधिकारी ऐसे प्रकरणों की स्वयं छानबीन कर आवश्यकता के अनुसार त्वरित कार्रवाई करें ताकि भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सके। इस परिप्रेक्ष्य में कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग ने रेशम संचालनालय में गंभीर भ्रष्टाचार से जुड़ा एक प्रकरण चिन्हित कर तत्परता से कार्यवाही की है। प्रकरण की जांच में गंभीर वित्तीय एवं अन्य अनियमितताएं सामने आयी हैं।
श्री प्रवीर ने बताया कि राज्य में रेशम के क्षेत्राच्छादन एवं उत्पादन के आंकड़ों में अनुदान के रूप में रेशम कृषकों दी जाने वाली शासकीय राशि में फर्जी रूप से गबन किया गया है। रेशम उत्पादन के लिए शासन कृषकों को प्रति एकड़ के मान से अनुदान देता है। जांच में पाया गया कि उत्पादन के आंकड़े वास्तविकता से कहीं अधिक बताये गये हैं तथा रेशम कृषकों को दी जाने वाली अनुदान राशि में गबन करने की दृष्टि से कार्यवाही की गई है। विगत वर्षों में निर्माण कार्यों में भी गंभीर त्रुटियां पाई गई हैं। जांच में निर्माण एवं भंडार क्रय नियमों का भी गंभीर उल्लंघन किया गया है, जो शासकीय धनराशि का दुरुपयोग करने की श्रेणी में आता है। वस्त्र निर्माण और धागाकरण की प्रक्रिया में भी अपारदर्शी तरीके से कार्य किया गया तथा अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से शासकीय धनराशि का गबन किया गया। इसी तरह प्रशिक्षण एवं परिवहन की प्रक्रिया में भी शासन के निर्धारित निर्देशों तथा भंडार क्रय नियमों का पूरी तरह उल्लंघन किया गया है। जिसके फलस्वरूप शासकीय धनराशि का दुरुपयोग एवं प्रभक्षण संभव हुआ है।
उन्होंने बताया कि तत्कालीन रेशम आयुक्त एवं उप संचालक स्तर के ऐसे अधिकारी जिनसे योजना के पर्यवेक्षण और निरीक्षण की अपेक्षा थी, उन्हीं के द्वारा समस्त नियमों के विपरीत जाकर योजनाओं के क्रियान्वयन में सोची-समझी रणनीति से षड्यंत्र किया गया। पूरे प्रकरण की जांच के बाद राज्य शासन ने एक उप संचालक और तीन फील्ड ऑफीसर को निलंबित कर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी है।

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