मुरैना। पंचम अपर सत्र न्यायालय के न्यायाधीश लखनलाल गर्ग ने दुष्कर्म की शिकार हुई युवती द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या किए जाने के मामले में आरोपी विजय प्रताप पुत्र नारायण लोधी 24 वर्ष निवासी महेवा का पुरा थाना माता बसैया के खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर दोषसिद्ध पाते हुये 10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक मानवेन्द्र सिंह राणा ने पुलिस की ओर से पैरवी की।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 27 जनवरी 2015 को दुष्कर्म की शिकार हुई युवती ने अपने घर के अंदर ग्राम डोगरपुर थाना माता बसैया में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। जिसकी सूचना थाने पर फरियादी नेम सिंह ने दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा बनाकर लाश जप्त करने के बाद उसका शव परीक्षण कराने से पूर्व एफएसएल टीम से मौका मुआयना कराया। एफएसएल टीम एवं मेडीकल रिपोर्ट के आधार पर युवती द्वारा बलात्कार का शिकार होने के बाद फांसी लगाए जाने का मामला सामने आया। युवती के परिजनों एवं बाबा के बयान के आधार पर आरोपी के रूप में विजय प्रताप पुत्र नारायण लोधी के ऊपर शक हुआ। दुष्कर्म की घटना के बाद युवती के बाबा ने विजय प्रताप को अपने घर से निकलकर जाते हुए देखा था तथा घटना की शिकार युवती रोते हुए मिली, उसके बाद उसने अपने घर में फांसी लगा ली। हालांकि न्यायालय के समक्ष स्वतंत्र साक्षियों ने अपने कथन बदल दिये और अभियोजन पक्ष की कहानी को गलत ठहराया। न्यायाधीश श्री गर्ग ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य तथा एफएसएल व मेडीकल रिपोर्ट के आधार पर आरोपी विजय प्रताप को दोषसिद्ध पाते हुये उसे भादवि की धारा 376 में 10 वर्ष के कारावास व 2 हजार के अर्थदण्ड तथा 306 के अपराध में 7 वर्ष के कारावास की सजा के साथ 2 हजार के अर्थदण्ड की सजा सुनाई। न्यायालय के आदेश के बाद आरोपी को जेल भेज दिया गया।