फर्जी सील लगाकर नियुक्ति पत्र देने वाले गिरफ्तार

Update: 2015-12-03 00:00 GMT

शैलेन्द्र ने करीब 12 लोगों को फर्जी नियुक्ति आदेश दिये और उनसे पैसे वसूले
युवकों से 20 से 40 हजार रुपए लेकर उन्हें नियुक्ति आदेश देता था

भोपाल। अपराध शाखा ने ऐसे गिरोह को दबोचा है जो मध्यप्रदेश शासन की सील लगाकर फर्जी नियुक्ति आदेश जारी कर देता था तथा बेरोजगार युवकों से नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करता था।
एक व्यक्ति ने अपराध शाखा को आवेदन देकर सूचना दी थी कि नौकरी पाने के लिए वह उसके गांव के निकट ही नानूखेड़ी में रहने वाली रीना परमार से मिला था, जिसने शैलेन्द्र नाम के व्यक्ति के बारे में बताया कि वह नौकरी लगवा सकता है। मैंने शैलेन्द्र से मुलाकात की और लगातार शैलेन्द्र यादव के संपर्क में रहा। शैलेन्द्र यादव ने आवेदक से डीबी मॉल एमपी नगर में नौकरी लगाने के नाम पर 40 हजार रुपए लिये और मुझे नियुक्ति आदेश थमा दिया। इसी तरह शैलेन्द्र यादव ने कई लोगों को नियुक्ति आदेश पैसे लेकर दिये परन्तु किसी की भी नौकरी न लगने से शिकायकर्ता को शंका हुई। उसने शैलेन्द्र यादव से संपर्क किया तो उसका मोबाईल बंद आया। शैलेन्द्र यादव ने करीब 12 लोगों को फर्जी नियुक्ति आदेश दिये और उनसे पैसे वसूल किये।
अपराध शाखा द्वारा फरियादी की शिकायत पर शैलेन्द्र को उसके मोबाईल नंबर की लोकेशन के आधार पर गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान उसने अपना नाम शैलेन्द्र कुमार यादव पिता बलराम यादव (39) निवासी अन्नपूर्णा कॉलोनी सागर नाका, जिला दमोह बताया। आरोपी ने बताया कि उसने अपनी महिला साथी रीना परमार के माध्यम से बेरोजगार युवकों से संपर्क किया। बेरोजगार युवकों से संपर्क रीना परमार कराती थी। उसके बाद वह इन युवकों से फोन से संपर्क कर 20 से 40 हजार रुपए लेकर उन्हें नियुक्ति आदेश देता था। नियुक्ति के आदेश के बारे में उसने बताया कि उसने नियुक्ति आदेश का फारमेट राय फोटो कॉपी के संचालक महेन्द्र राय से तैयार करवाये थे और मध्यप्रदेश शासन की सीलें मनेश सल्लाम उर्फ महेश पेंटर की एमपी नगर स्थित दुकान से बनवाता था। आरोपी से पूछताछ के आधार पर महेन्द्र राय, को गिरफ्तार किया गया है।
आरोपियों के पास से नियुक्ति आदेश का फारमेट तैयार करने में उपयोग किये गये कम्प्यूटर एवं उपकरण तथा नियुक्ति आदेश में उपयोग की गयी विभागों की सीलें बरामद की गयी है, जिनमें कई ऐसी सीलें भी जप्त हुई है, जिनके संबंध में विभाग प्रमुख का कोई पत्र या आदेश नहीं है।

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