फेरी नीति के तहत फुटपाथी होंगे ऑनलाइन

Update: 2015-12-31 00:00 GMT

प्रत्येक फुटपाथी के बनाए जा रहे लाइसेंस
झांसी। फुटपाथ पर व्यापार करने वाले छोटे दुकानदार अब आनलाइन किए जाएंगे। इसके लिए उनके लाइसेंस बनाने कर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शहर में फुटपाथ पर लगने वाली दुकानों के लिए अब शहर से बाहर जोन बनाए जाएंगे। फुटपाथी दुकानदारों की चिन्ता यह है कि शहर से दूर लगने वाली दुकानों से उनका सामान कौन खरीदेगा।
शहर में फेरी लगाने वालों के लिए केन्द्र सरकार व राज्य सरकार की नियमावली में लाइसेंस होना जरूरी है। इसके लिए प्रयास किया जा रहा है कि शहर के गली कूचों व सड़कों के किनारे चाय, पान के डिब्बे व हाथ ठेले, फेरी लगाने वाले अपना सामान बेचते हैं, लेकिन सरकार की योजना फेरी नीति के तहत फुटपाथी रोजगार करने वालों के लिए एक स्थान सुनिश्चित कर रही है, जहां फुटपाथी अपना सामान रखकर बिक्री कर सकते हैं।
 इस योजना से समस्त फुटपाथियों को लाभ पहुंचेगा। इसके लिए लिए नगर निगम में शहरी विकास योजना के अंतर्गत शहरी पथ विक्रेताओं के लिए लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिसमें प्रत्येक फुटपाथी को लाइसेंस देकर स्थान भी सुनिश्चित किया जाएगा। कुछ दिनों पूर्व सब्जी मंडी में फुटपाथियों को जगह देने के लिए नगर निगम द्वारा लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसमें कुछ लोगों ने नगर निगम से लाइसेंस बनबा लिए, लेकिन यह व्यवस्था सब्जी मंडी में फुटपाथ पर सब्जी बेच रहे विक्रताओं के लिए थी, जबकि लाइसेंस होने के बाद भी नगर निगम द्वारा लगाए फुटपाथ पर आज भी फुटपाथी नहीं बैठ रहे हैं।
शहर में लगभग बीस हजार फुटपाथी रोजाना फुटपाथ पर अपना सामान रखकर बेचते हैं। इस व्यवस्था को बनाने के लिए सरकार का कानून वर्षों से लागू है, लेकिन इस पर अमल करने के लिए विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की। सरकार के कड़े निर्देश होने पर अधिकारियों ने काम करना शुरू कर दिया। शहर के चारों तरफ सड़कों के आसपास व बाजारों में फुटपाथी काम कर रहे हैं। शहर स्मार्ट सिटी होने जा रहा है और कुछ ही महीनों में शहर का सौन्दर्यीकरण पूरी तरह होने लगेगा। जहां फुटपाथियों को शहर में स्थान नहीं मिल पाएगा और उन्हें शहर से बाहर फुटपाथ पर दुकान लगाकर कार्य करना पड़ सकता है।
 स्मार्ट सिटी होने के कारण कई सरकारी संस्थान भी शहर से दूर बनाए जा रहे हैं, लेकिन गरीब फुटपाथी शहर से दस किलोमीटर दूरी पर कारोबार करेंगे, तो शायद उनका भरण पोषण व उनके द्वारा लगाए गए फुटपाथ पर सामान की बिक्री मुश्किल से हो पाएगी। जबकि सरकार की मंशा है कि शहर में फुटपाथियों के लाइसेंस बनाकर उन्हें आनलाइन किया जाए।

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