भोपाल। प्रदेश के छह चिकित्सक अब ना तो मरीजों का इलाज कर सकेंगे, ना ही अस्पतालों में सेवाएं दे सकेंगे। मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल ने यह फैसला डॉक्टरों के निलंबन के चलते लिया है। आज शनिवार को काउंसिल ने प्रदेश के छह डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है। निलंबन तीन महीने से एक वर्ष तक के लिए किया गया है। इस दौरान निलंबित चिकित्सक अस्पतालों और घर पर मरीजों को नहीं देख सकेंगे।
एमपीएमसी अध्यक्ष डॉ. केके ठस्सू ने बताया कि काउंसिल को बीती दो साल में 14 डॉक्टरों के खिलाफ इलाज में लापरवाही और अनइथिकल प्रैक्टिस करने की शिकायतें मिली थी।
इस पर कमेटी की इथिकल कमेटी ने जांच के बाद छह डॉक्टरों को अनइथिकल प्रैक्टिस के लिए दोषी माना है। इसके लिए काउंसिल नियमों के तहत 4 डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन 1 साल के लिए निलंबित किए हैं। शेष दो डॉक्टरों को 3 महीने और छह महीने के लिए रजिस्ट्रेशन निलंबित किया है। निलंबन के दौरान यह डॉक्टर अस्पताल, क्लीनिक और घर पर मरीजों का इलाज नहीं कर सकेंगे।
डॉ. ठस्सू ने बताया कि निलंबन अवधि के दौरान प्रैक्टिस करते पकड़े जाने वाले डॉक्टर के खिलाफ काउंसिल आदेश की अवमानना का प्रकरण दर्ज करेगी।
इलाज में लापरवाही की शिकायत ऐसे करें
मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल प्रदेश के सभी जिलों में कार्यरत एलौपेथी चिकित्सा पद्धति के डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही से संबंधित लगने वाले आरोपों की जांच करती है। मरीज अथवा उसके परिजन इलाज में लापरवाही अथवा अनइथिकल प्रैक्टिस की शिकायत काउंसिल को सीधे डाक से कर सकते हैं। शिकायतों की स्क्रूटनी के बाद काउंसिल की इथिकल कमेटी डॉक्टर पर लगे आरोपों से संबंधित दस्तावेज शिकायतकर्ता से हांसिल कर, संबंधित को नोटिस जारी करती है। इसके बाद एक्सपर्ट कमेटी दोनों पक्षों के बयान लेने के बाद अपना फैसला देती है। काउंसिल को एक मामले की जांच में अधिकतम 2 साल का समय लगता है।
इन पर गिरी गाज
* डॉ. पुष्पेंद्र शर्मा, सीएमएच, रतलाम।
* डॉ. मंजू सिंह, स्त्री रोग विशेषज्ञ, रतलाम।
* डॉ. राजेंद्र कुमार जैन मेडिकल विशेषज्ञ, सीएचसी, खजुराहो।
* डॉ. संतोष गुप्ता, नेत्र रोग विशेषज्ञ, खरगौन।
* डॉ. सीमा शिवहरे, मेसकॉट हॉस्पिटल, ग्वालियर।
* डॉ. उमेश सिन्हा, चिरायु मेडिकल कॉलेज, भोपाल शामिल हैं।