नई दिल्ली। उच्चत्तम न्यायालय ने आज अपने एक अहम फैसले में जाटों के आरक्षण को रद्द कर दिया। अपने फैसले में उच्चत्तम न्यायालय ने यह दलिल दी है कि जाटों को आरक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है । इस फैसले के बाद नौ राज्यों में जटों को आरक्षण नहीं मिलेगा ।
बता दे कि गत वर्ष मार्च माह में तब की संप्रग सरकार के मुखिया डॉ.मनमोहन सिंह ने नौ राज्यों के जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी सूची में शामिल किया था। इसके आधार पर जाट भी नौकरी और उच्च शिक्षा में ओबीसी वर्ग को मिलने वाले 27 प्रतिशत आरक्षण के हकदार बन गए थे ।
लोकसभा चुनाव से पहले चार मार्च 2014 को किए गए इस फैसले में दिल्ली, उत्तरखांड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और हरियाणा के अलावा राजस्थान के जाटों को केंद्रीय सूची में शामिल किया था। इसके खिलाफ उच्चत्तम न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई थी। मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार ने भी जाटों को ओबीसी आरक्षण की सुविधा दिए जाने के फैसले का समर्थन किया था।
ओबीसी रक्षा समिति समेत कई संगठनों ने कहा कि ओबीसी कमिश्न ये कह चुका है कि जाट सामाजिक और शैक्षणिक रुप से पिछड़े नहीं है, जबकि सरकार सीएसआईर की रिपोर्ट का हावाला देती रही है ।