भीषण भूकंप से 10 फुट नेपाल की ओर खिसका भारत, मौत का आंकड़ा 5 हजार के पार

Update: 2015-04-28 00:00 GMT


नई दिल्ली/काठमांडू, शनिवार को नेपाल में आए 7.9 तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप के दौरान कुछ ही सेकेंड में भारत का एक हिस्सा करीब एक से 10 फुट तक खिसक गया. अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी के लामोंट डोहर्ती अर्थ आब्जर्वेटरी के लामोंट एसोसिएट रिसर्च प्रोफेसर कोलिन स्टार्क ने कहा, ‘शनिवार को एक ओर काठमांडू और पोखरा तथा दूसरी ओर पूरे हिमालयी पर्वतीय क्षेत्र का करीब एक से दो हजार वर्ग मील का क्षेत्र खिसक गया.’ स्टार्क ने कहा, ‘मात्र कुछ सेकंड में भारत का एक हिस्सा एक से 10 फुट उत्तर और नेपाल के नीचे खिसक गया.’
स्टार्क ने कहा, ‘बिहार के नीचे की चट्टान नेपाल में भरतपुर से हेतौदा होते हुए जनकपुर के क्षेत्र के नीचे खिसक गई.’ स्टार्क ने कहा, ‘यह अहसास महत्वपूर्ण है कि पूरा उत्तर भारत पूरे समय उत्तर की ओर नेपाल आदि के नीचे खिसक रहा है. बिंदु यह है कि यह खिसकना अचानक विभिन्न स्थानों पर विभिन्न समय होता है.’
जियोलॉजिस्ट ने निगरानी की है कि पृथ्वी की प्लेटें कितनी तेजी से चल रही हैं और उन्हें जानकारी मिली कि पूरा भारतीय उपमहाद्वीप धीरे-धीरे लेकिन निश्चित तौर पर नेपाल और तिब्बत के नीचे करीब 1.8 इंच प्रतिवर्ष की दर से खिसक रहा है.’
वहीं दूसरी तरफ नेपाल में शनिवार को आए विनाशकारी भूकंप में अब तक 5 हडार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. प्रधानमंत्री सुशील कोईराला ने मृतकों की संख्या 10,000 तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की है. वहीं कई लोग अभी भी लापता हैं. सुशील कोईराला ने मंगलवार को भारत, चीन और अमेरिका के राजदूतों से कहा कि विनाशकारी भूकंप में मृतकों की संख्या 10,000 तक पहुंच सकती है. इस दौरान नेपाली सेना एवं अन्य देशों से आए राहत एवं बचाव कर्मी लगातार मलबे के ढेर में दबे जिंदा बचे लोगों की खोज में लगे हुए हैं.

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की ओर से लगातार मिल रही मदद के बीच धीरे-धीरे स्पष्ट होता जा रहा है कि यह त्रासदी नेपाल में 1934 में आए विनाशकारी भूकंप की त्रासदी से भी बड़ी होने वाली है. 1934 में आए भूकंप में नेपाल में 8,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार प्रकाश अधिकारी ने बताया कि त्रासदी को लेकर चिंतित कोईराला ने मंगलवार को अपने दोनों पड़ोसी देशों चीन और भारत के अलावा अमेरिका के राजदूतों से मुलाकात की और कहा कि मृतकों की संख्या 10,000 से ऊपर पहुंच सकती है. हादसे में मरने वालों में कम से कम 10 विदेशी नागरिक शामिल हैं, जिनमें भारत, चीन, अमेरिका, फ्रांस और आस्ट्रेलिया के नागरिक हैं. इस बीच राजधानी काठमांडू में पानी की भारी किल्लत हो गई है तथा कई जगहों पर महिलाएं और बच्चे प्लास्टिक की बाल्टियां लिए पानी के लिए लाइन में खड़े दिखाई दिए. भूकंप में हजारों की संख्या में घर या तो ध्वस्त हो गए हैं या इतने क्षतिग्रस्त हो गए हैं कि रहने लायक नहीं रह गए हैं. हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को लगातार तीसरी रात ठिठुरती ठंड में खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ी. शनिवार को आए 7.9 तीव्रता वाले भूकंप के बाद से अब तक भूकंप के कई झटके आ चुके हैं, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है. नेपाल के गृह मंत्रालय के अनुसार, भूकंप में करीब एक दर्जन नगर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जिनमें राजधानी काठमांडू और सिंधुपालचौक में सर्वाधिक जनहानि हुई है. काठमांडू में अबतक 1,039 जबकि सिंधुपालचौक में 1,176 लोगों की मौत हो चुकी है. कुछ अस्पतालों में डायरिया फैलने की खबर है.
ज्यादातर इलाकों में बिजली संकट जारी है. हालांकि काठमांडू में बिजली बहाल कर दी गई है. इस बीच प्रधानमंत्री कोईराला ने भूकंप पीड़ितों की मदद तथा नेपाल को पुनर्निर्मित करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से और मदद की गुहार लगाई है तथा मदद में तेजी लाने का आग्रह किया है.
नेपाल भूंकप में 80 लाख लोग प्रभावित
संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को कहा कि नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में नेपाल के 39 जिलों में 80 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इनमें से 11 सर्वाधिक प्रभावित जिलों में अकेले 20 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि राहत कार्य में भूकंप पीड़ितों को भोजन, पानी, आश्रय और दवाएं उपलब्ध करवाना सर्वोच्च प्राथमिकता है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 14 लाख लोगों तक तत्काल खाद्य सामग्री पहुंचाने की जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र ने नेपाल को 15 मिलियन डॉलर देने की घोषणा की कर दी है.
तजाकिस्तान में भी भूकंप
ताजिकिस्तान के सीमावर्ती इलाके में भी मंगलवार को भूकंप के झटके आए. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 5.5 थी. भूकंप का केंद्र जमीन के 144 मीटर नीचे था. भूकंप के बाद पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा प्रांत तक झटके महसूस किए गए.
भूकंप से कुल 66 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित बताए जा रहे हैं. भारत में ही अब तक कुल 72 लोगों की जान जा चुकी है. सिर्फ बिहार में ही 57 लोगों की मौत हुई है. इस बीच नेपाल में राहत कार्यों के दौरान करीब तीन दिन बाद एक 54 साल की महिला को जिंदा बचा लिया गया है. अपने मित्र देश में राहत और बचाव के काम के लिए भारत ने पूरी ताकत झोंक दी है.

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