मकानों का सर्वे शुरू
ग्वालियर। नगर निगम सीमा में बनने वाले मकानों की मंजूरी के समय निगम द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग के पैसे जमा कराए जाते हैं, लेकिन इन पैसों से आज तक किसी भी मकान में निगम ने वाटर हार्वेस्टिंग नहीं कराई। वहीं दूसरी ओर मकान स्वामी द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया गया है या नहीं इसकी देखरेख करने के लिए भी कोई अधिकारी नहीं पहुंचता था। लेकिन विगत दिनों निगमायुक्त अजय गुप्ता द्वारा भवन शाखा को निर्देश दिए गए हंै कि वह मकानों का सर्वे कर बताएं कितने मकानों में यह सिस्टम लागू है।
उल्लेखनीय है कि नगर निगम सीमा में मकान का निर्माण कराने से पहले निगम से मंजूरी ली जाती है। भवन निर्माण की मंजूरी देते समय नगर निगम वाटर हार्वेस्टिंग के पैसे भी जमा करवा लेती है। इसके बाद निगम की जिम्मेदारी होती है कि अगर भवन स्वामी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू नहीं करवाता है तो निगम के अधिकारी वहां हार्वेस्टिंग सिस्टम के जमा पैसों से वहां पर सिस्टम लगवाएं। सालों से चले आ रहे इस नियम के बाद भी आज तक निगम के किसी भी अधिकारी ने कभी भवन निर्माण के समय जाकर नहीं देखा कि कितने मकानों में यह सिस्टम लागू किया गया है अथवा नहीं किया गया।
यह रखा जाए ध्यान
निगमायुक्त अजय गुप्ता ने भवन शाखा के अधिकारियों को निर्देश दिए है कि सर्वे के दौरान यह देखा जाए कि विगत पांच सालों में कितने भवनों को अनुमति दी गई। साथ ही उनमें से कितने भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू किया गया है। साथ ही कितने मकानों में यह सिस्टम लागू नहीं हंै। निर्माण की मंजूरी लेते समय जिन भवन स्वामियों ने पैसे जमा कराए हंै लेकिन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं कराया है ऐसे मकानों का सर्वे कराकर निगम स्वीकृति के समय जमा कराए गए पैसों से भवनों
मुरार सूखा घोषित में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगावाएगा।
भूजलस्तर पर निगाह रखने वाले लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा मुरार को सूखा प्रभावित क्षेत्र पूर्व में ही घोषित किया जा चुका है। साथ ही लश्कर क्षेत्र के भी आधे से अधिक क्षेत्र ऐसे हैं जो कि सूखा घोषित होने की स्थिति में पहुंच चुके है।