सरकारी स्कूलों में पढ़ें अधिकारियों के बच्चे, स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक जोशी आए समर्थन में
ग्वालियर, विशेष संवाददाता। सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला लेना चाहिए, इस आशय के इलाहाबाद उच्च न्यायालय से आए फैसले ने प्रदेश में भी एक नई बहस छेड़ दी है। प्रदेश मंत्रिमंडल के सदस्य और प्रशासकीय अधिकारी मानते हैं कि इस बारे में मध्यप्रदेश सरकार को भी एक नीति तैयार करना चाहिए। अलबत्ता इस फैसले के समर्थन में मध्यप्रदेश के स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री दीपक जोशी खड़े हो गए हैं। प्रशासकीय अधिकारी भी न्यायालय के इस फैसले से सहमति जता रहे हैं लेकिन वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में कब से पढ़ाएंगे यह देखने की बात है।
जिलाधीश ने नहीं की टिप्पणी
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सरकारी अधिकारियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाए जाने संबंधी आदेश पर जब जिलाधीश डॉ.संजय गोयल की प्रतिक्रिया चाही तो उनका कहना था कि आदेश को पूरा पढ़े बिना वे टिप्पणी नहीं कर सकते।
''इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले की बातें यहां भी लागू करवाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात की जाएगी।''
दीपक जोशी, स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री
''सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने की दिशा में उच्च न्यायालय का निर्णय सही है। अभी सभी अधिकारी अपने बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में ही पढ़ाते हैं विशेषकर ईसाई मिशनरीज के स्कूलों में दाखिला हो, इसका प्रयास करते हैं। संविधान प्रदत्त समानता का अधिकार तभी लागू हो पाएगा जब अधिकारियों के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में पढऩे पहुंचे।''
केके खरे, संभागायुक्त
''इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय कई मायने में सही प्रतीत होता है। अगर सरकारी अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढऩे जाएंगे तो स्कूली की दशा सुधरेगी। मेरा मानना है कि इस बारे में अधिकारियों और माननीय लोगों के बीच व्यापक बहस भी होनी चाहिए। आज भी कई अधिकारी ऐसे हैं जो अपने बच्चों को कान्वेण्ट स्कूलों में पढ़ाना पसंद नहीं करते हैं।''
प्रो.संगीता शुक्ला, कुलपति जीविवि