लखनऊ। यूपी के लोकायुक्त मामले में महीनों से बना संशय गुरुवार को दूर हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वीरेंद्र सिंह का नाम खारिज दिया और रिटायर्ड जस्टिस संजय मिश्रा के नाम पर मुहर लगा दी।
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘अगर इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी आपत्ति 16 दिसंबर तक बता दी होती, तो शायद आज हालात कुछ और होते।‘‘ इसके पहले कोर्ट ने माना था कि लोकायुक्त के मामले में यूपी सरकार ने गुमराह किया है। सुप्रीम कोर्ट के इस के बाद यूपी लोकायुक्त मामले पर महीनों से चला आ रहा संशय दूर हो गया।
गौरतलब है कि बीते साल 16 दिसंबर को डेडलाइन खत्म होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह यादव को यूपी का लोकायुक्त अप्वॉइंट किया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने गवर्नर राम नाईक को लेटर लिखकर एतराज जताया था। चीफ जस्टिस ने कहा था कि जस्टिस वीरेंद्र सिंह के नाम पर वह सहमत नहीं थे। बावजूद इसके उनका नाम यूपी सरकार ने भेज दिया।
बताते चलें कि 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में लोकायुक्त केस की सुनवाई पूरी हो गई थी। इसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला रिजर्व रख लिया था। इस दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार, चीफ जस्टिस हाईकोर्ट और अपोजिशन लीडर पर कमेंट किया था। कोर्ट ने सवाल किया था कि 20 महीने में एक नाम पर सहमति क्यों नहीं बना पाए? कोर्ट ने पिटीशन दायर करने वाले सच्चिदानंद गुप्ता उर्फ सच्चे गुप्ता से भी पूछा था कि लोकायुक्त केस से आपका क्या लेना-देना है? इस मामले में यूपी गवर्नमेंट की ओर से एडवोकेट जनरल विजय बहादुर सिंह पैरवी कर रहे थे।