नई दिल्ली। भारत में 2016-17 में इस्पात की मांग में अच्छी वृद्धि की उम्मीद है लेकिन इस वृद्धि के टिकाउ रहने की संभावना अनिश्चित है। इसका कारण क्षेत्र में निवेश मुख्य रूप से सरकार की तरफ से हो रही है। वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन (डब्ल्यूएस)ए ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि दुनिया का तीसरी सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश भारत तथा आसियान देशों में निरंतर उच्च वृद्धि उभरती अर्थव्यवस्थाओं के स्थिरीकरण में मदद कर रही है। उभरती अर्थव्यवस्थाएं जिंसों के कम दाम तथा भू-राजनीतिक तनावों से प्रभावित हैं।
डब्ल्यूएसए ने कहा, भारत में उपभोग को बढ़ाने वाले सुधार तथा बुनियादी ढांचा में निवेश से इस्पात की मांग में 2016-17 में अच्छी वृद्धि की उम्मीद है लेकिन इसके टिकाउ होने को लेकर प्रश्न है। इसका कारण जो प्रमुख निवेश हो रहे हैं, वह सरकार की तरफ से है जबकि निजी निवेश कमजोर बना हुआ है। एसोसिएशन के अनुसार आसियान देशों में निर्माण गतिविधियां स्टील की मजबूत मांग में वृद्धि को आगे बढ़ाएगी।
उभरती और विकासशील चीन को छोड़कर अर्थव्यवस्थाओं में इस्पात की मांग में 2016 और 2017 में क्रमशः दो प्रतिशत और चार प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। वैश्विक स्तर पर डब्ल्यूएसए ने 2016 में मांग 0.2 प्रतिशत बढ़कर 150.1 करोड़ रहने का अनुमान है जबकि 2015 में तीन प्रतिशत की गिरावट आई थी।