एक झटके में देश की 87% यानी 15 लाख करोड़ रुपए की करंसी इकोनॉमी से बाहर

Update: 2016-11-09 00:00 GMT

 अगले कुछ दिन 13% करंसी से इकोनॉमी चलेगी...

नई दिल्ली. भ्रष्टाचार, आतंकवाद, कालाधन और नकली नोटों को रोकने के लिए प्रधानमंत्री ने 500-1000 रुपए के नोटों को बंद करने का एतिहासिक निर्णय लेकर सार्थक प्रयास किया हैं. इसी के साथ मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश देने के बाद 4 घंटे के अंतराल में ही देश की 87% यानी 15 लाख करोड़ रुपए की करंसी इकोनॉमी से बाहर हो गई। 500 रूपए के नए नोट लाने के साथ 2000 रुपए का नोट लाने का फैसला पहली बार किया गया है । हाई वैल्यू नोटों को बंद करने का फैसला, इससे पहले भी 1946 और 1978 में ऐसे फैसले किए गए थे। अब तक सबसे ज्यादा मूल्य का 10 हजार रुपए का नोट पहले 1938 में, फिर 1954 में छापा गया था। लेकिन इस नोट को जनवरी 1946 और फिर दोबारा 38 साल पहले जनवरी 1978 में बंद कर दिया गया था।  

  
" अभी 500 रुपए के 1650 करोड़ नोट चलन में हैं। यानी 8.25 लाख करोड़ रुपए। इसी तरह 1000 रुपए के 670 करोड़ नोट चलन में हैं। यानी 6.70 लाख करोड़ रुपए। "
 
प्रमुख बातें...
 
- इन दोनों तरह के नोटों की देश में चल रही करंसी में कुल हिस्सेदारी 87% है।

- नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन जारी कर एलान किया कि 500 और 1000 रुपए के नोट आधी रात से बंद हो जाएंगे।
 
  यानी महज 4 घंटे में देश की इकोनॉमी से 15 लाख करोड़ रुपए की करंसी बाहर हो गई। इसका मतलब अगले कुछ दिन 13% करंसी से देश की इकोनॉमी चलेगी।
 
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