यह श्रुति-स्मृति का देश है: आलोक जी

Update: 2016-12-17 00:00 GMT

‘कथा रूप में दीनदयाल जी’
त्रि-दिवसीय महोत्सव भोपाल में शुरू

भोपाल। एकात्म मानवदर्शन को प्रस्तुत करने वाले पं. दीनदयाल जी उपाध्याय जीवन-यात्रा विचार व राष्ट्र की अवधारणा को कथा के रूप में आज राजधानी के खचाखच भरे समन्वय भवन में दिल्ली से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत सह संघचालक आलोक कुमार जी ने प्रस्तुत किया।

उन्होनें कथा के प्रारंभ में बताया कि पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्मता का नया दर्शन किस तरह से देश भर में जागृति का संदेश देता है। उन्होनें कहा कि यह श्रुति-स्मृति का देश है। उन्होनें पं0 दीनदयाल जी के बचपन काल से जीवनयापन में आई कठिनाईयों को सुरूचिपूर्ण कथा के रूप में प्रस्तुत किया। कथावाचक आलोक जी ने कहा कि पंडित जी वास्तव में अनिकेत थे। कथा का प्रारंभ बापू के प्रसिद्ध भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीर पराई जाने रे’ से शुरू हुआ। वंदे मातरम् के बाद कथावाचक आलोक जी का सम्मान यजमान के रूप में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा और उनकी धर्मपत्नी कल्पना शर्मा ने किया। इस अवसर पर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मत्रंी अर्चना चिटनीस ने कथा आयोजन के बारें में जानकारी दी। उन्होनें कहा कि हमारे देश की परंपरा है कथा। यहां शिवाजी, महाराणा प्रताप, आला-उदल और बुंदेलों द्वारा कथाएं सुनाई जाती रही है। पंचतंत्र की कथाएं चरित्र को बल देने का काम युगों से कर रही है। उन्होनें कहा कि यह पं. दीनदयाल उपाध्याय का शताब्दी वर्ष है, सादगी, सरलता, कर्मठता को नमन करने का वर्ष पर्व है। उनके विचारों का चरणामृत लेने के उद्देष्य से कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश जोशी, कैलाश नारायण सारंग, पूर्व मंत्री सरताज सिंह, प्रांत संघचालक सतीश पिंपलीकर, सह संघचालक अशोक पांडे और प्रदेश संगठन महामंत्री भाजपा सुहास भगत, महापौर आलोक शर्मा, राज्यमंत्री विष्वास सारंग सहित शहर के और अन्य स्थानों से आये हुए गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। सभागार खचाखच भरा हुआ था। मंच का संचालन दीपक शर्मा द्वारा किया गया। यह प्रस्तुति दीनदयाल शोध संस्थान दिल्ली द्वारा प्रस्तुत की जा रही है।

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