प्राध्यापक बने बगैर ही बना दिए गए कुलपति

Update: 2016-12-22 00:00 GMT

भोपाल। भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के लिए बदनाम भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति तारिक जफर के भ्रष्टाचार और गड़बडिय़ों की शिकायत राज्य सरकार तक पहुंची है। शिकायत में आरोप हैं कि तारिक जफर कभी प्राध्यापक थे ही नहीें, लेकिन वे पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे कमलेश यादव के जरिए विश्वविद्यालय के कुलपति तक बन गए। कुलपति बनने के बाद उन्होंने भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड बनाए। भ्रष्टाचार के इन आरोपों पर जफर के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए मौजूदा राज्यपाल के प्रमुख सचिव अजय तिर्की पर भी आरोप हैं। साथ ही विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ. प्रवीण जैन पर भी पद के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं।
मुख्य सचिव बीपी सिंह, उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आशीष उपाध्याय एवं भोज विवि के कुलसचिव एनके तिवारी के नाम भेजी गई शिकायत में आरोप हैं कि तारिक जफर ने पूर्व राज्यपाल के बेटे कमलेश यादव को 50 लाख रुपए देकर अवैध रूप से अपना चयन कुलपति के लिए कराया था। इसके बाद उन्होंने जो बड़े-बड़े भ्रष्टाचार किए हैं, उसमें पूर्व राज्यपाल के बेटे कमलेश यादव, प्रमुख सचिव अजय तिर्की, कुलपति तारिक जफर एवं विवि के निदेशक डॉ प्रवीण जैन की भी मिलीभगत रही है। शिकायकर्ता डॉ अजय भार्गव ने शासन से शिकायत में मांग की है कि डॉ तारिक जफर के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। तथा शासन धारा-52 लगाकर कुलपति को तत्काल हटाए। साथ ही विवि में की गईं 27 अवैध नियुक्तियों को निरस्त किया जाए।

बताया जाता है कि विवि में शैक्षणिक पदों की भर्ती में व्यापमं की तर्ज पर घोटाला हुआ। इसकी शिकायत पीएम कार्यालय में भी दर्ज हैं। रिश्वत लेकर भर्ती करने के आरोप यादव, तिर्की, जफर, प्रवीण जैन के अलावा कांग्रेस नेता साजिद अली पर भी हैं। 15 से 20 लाख लेकर की गई 27 नियुक्तियों की शिकायतों की वजह से आदेश जारी नहीं हुए हैं। ऐसे में लोग रुपए वापस मांगने लगे हैं। इस बीच राज्यपाल रामनरेश यादव के निधन के दौरान लखनऊ में रणनीति बनी कि गुपचुप तरीके से 27 लोगों की नियुक्ति के आदेश जारी किए जाएं। इसी रणनीति के चलते राज्यपाल के प्रमुख सचिव अजय तिर्की ने राजभवन से एक समिति बनवा दी, जो नियुक्ति संबंधी शिकायतों का परीक्षण करेगी। अंतत: समिति भी ऐसी रिपोर्ट दे जिसमें सभी नियुक्तियों को वैध ठहरा दिया जाएगा।

खास बात यह है कुलपति जफर का कार्यकाल 17 अप्रैल 2017 को पूरा हो रहा है, इससे पहले ही नियुक्ति आदेश करने की तैयारी है। इस भर्ती पर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने कुलसचिव के पत्र के आधार पर रोक लगा दी है।  कुलसचिव ने कहा था कि भर्ती में नियमों का पालन नहीं किया और भर्ती प्रक्रिया निरस्त की जाए।

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