परिजनों के मौन से मजबूत रहा पुलिस का पक्ष

Update: 2016-12-23 00:00 GMT

धर्मेन्द्र कुशवाह कथित मुठभेड़ मामला

ग्वालियर। 3 अगस्त 2015 को शीतला माता मार्ग पर पुलिस की कथित मुठभेड़ में मारे गए धर्मेन्द्र कुशवाह की मुठभेड़ में मौत की कथित जांच की प्रक्रिया के तहत अंतिम बहस गुरूवार 22 दिसम्बर को मुठभेड़ की नेतृत्वकर्ता तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती प्रतिमा मैथ्यू के बयानों के साथ पूरी हो गई।

आयोग की जांच में खास बात यह रही कि धर्मेन्द्र की मौत के बाद मुठभेड़ को पूरी तरह फर्जी बताते हुए सीबीआई जांच की मांग करने वाले परिजन आयोग के समक्ष मौन ही रहे। ऐसा माना जा रहा है कि परिजनों का मौन अपराध शाखा पुलिस के लिए संजीवनी का काम करेगी।  

उल्लेखनीय है कि धर्मेन्द्र कुशवाह कथित मुठभेड़ की जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश सी.पी.कुलश्रेष्ठ को सौंपी गई थी। न्यायिक जांच अधिकारी श्री कुलश्रेष्ठ के समक्ष बुधवार को अंतिम बहस होनी थी, लेकिन बहस पूरी नहीं हो पाने के कारण शेष बहस गुरूवार को जारी रही। गुरूवार को तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती प्रतिमा मैथ्यू ने मुठभेड़ की पूरी वही कहानी दोहराई जो उन्होंने घटना के समय बताई थी। शासकीय अभिभाषक ने भी न्यायिक जांच आयोग के समक्ष अपने तर्क रखे वहीं अपराध शाखा पुलिस की ओर से अभिभाषक ने पुलिस के बचाव में पूरी दमदारी से अपने तर्क रखे। घटनास्थल, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पुलिस डायरी एवं अन्य रिकार्ड तथा न्यायिक कार्रवाई को मिलाकर आयोग करीब दो सप्ताह में रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेगा।

यह रिपोर्ट तय करेगी कि धर्मेन्द्र कुशवाह मुठभेड़ मामला फर्जी था अथवा वास्तविक। रिपोर्ट ही यह तय करेगी कि अपराध शाखा पुलिस की मुठभेड़ की कहानी मनगढ़त है अथवा घटनाक्रम में कुछ सत्यता भी है।

Similar News