कैंसर से मुक्ति के लिए चाहिए समग्र दृष्टिकोण: डॉ. वैश्य
ग्वालियर। द लैनसेट नामक पत्रिका के अनुसार भारत में हर वर्ष 10 लाख नए कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं। अनुमान है कि 2035 में यह आंकड़ा 17 लाख प्रति वर्ष हो जाएगा। दुनिया भर में हर साल कैंसर की वजह से 82 लाख लोगों की मौत होती है। यह बात सर्वोदय हॉस्पिटल के डॉ. मनीष वैश्य ने विश्व कैंसर दिवस के मौके पर दुनिया से कैंसर की बीमारी को उखाड़ फेंकने की अपील करते हुए कही।
उन्होंने बताया कि भारत में कैंसर का पता लगने के बाद 30 प्रतिशत से कम कैंसर रोगी पांच साल से ज्यादा जी पाते हैं। भारत में जितने भी प्रकार के कैंसर हैं, उनमें से करीब 40 प्रतिशत तम्बाकू की वजह से होते हैं। कैंसर से होने वाली कुल मौतों के प्रमुख कारणों में ब्रेन व ब्रैस्ट कैंसर भी शामिल हैं। भारत के ग्रामीण इलाकों के लगभग 92 प्रतिशत रोगी कैंसर के इलाज के लिए सबसे पहले निजी चिकित्सक के पास जाते हैं। गौर तलब है कि इन चिकित्सकों में से 79 प्रतिशत के पास मेडीकल क्वालिफिकेशन नहीं होती है। दुनिया भर में जितने नए कैंसर के मामले सामने आते हैं, उनका 46 प्रतिशत हिस्सा चीन, भारत व रूस से आता है। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि भारत में कैंसर की रोकथाम के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए महज दवाओं एवं उपचार सुविधाओं की कमी को पूरा करना ही एकमात्र उपाय नहीं है बल्कि सबसे पहले लोगों को इसकी जद में आने से बचाना होगा। केन्द्रीय व राज्य सरकारों के लिए तम्बाकू सेवन को रोकना प्राथमिक सूची में होना चाहिए।