दुर्ग की तलहटी में दबी हैं दर्जनों बेटियां

Update: 2016-05-15 00:00 GMT

नहीं रुक रही गर्भ में बेटियों की हत्या, नाकाफी साबित हो रहे हैं प्रशासन के प्रयास


विनोद दुबे/ग्वालियर। मृगनयनी जैसी सुंदर, बुद्धिमान और बहादुर महिला के स्पर्श और दीदार का गवाह रहा ग्वालियर दुर्ग इन दिनों अपनों द्वारा अकारण मौत के मुंह में सुलाई गईं मासूम बेटियों के शवों को अपने आंचल में छुपाने का दंश झेल रहा है। बेटियों को बचाने और उन्हें आगे बढ़ाने शासन-प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे अभियानों और सख्त कानून के बावजूद संवेदनहीन समाज का एक बड़ा वर्ग आज भी अपनी अजन्मी और नवजात बेटियों को मौत के मुंह में सुला कर सुनसान पहाडिय़ों पर गहरे गड्ढे कर उन्हें भारी पत्थरों के बीच सुला रहा है।

अजन्मी और नवजात बेटियों की हत्या की गवाह ऐसी एक पहाड़ी इन दिनों फूलबाग के सामने स्थित किले की तहलटी बनी हुई है। लक्ष्मण तलैया और खल्लासी पुरा से सटी किले की तलहटी में आज भी दिन-प्रतिदिन उन बेटियों को दबाया जा रहा है, जिनकी हत्या उसकी मां के गर्भ में अथवा जन्म लेने के बाद प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तरीके से सिर्फ इसलिए कर दी जाती है क्योंकि वह बेटी है। भारी पत्थरों से तैयार दर्जनों बेटियों की कब्रों को इस सुनसान पहाड़ी पर देखा जा सकता है।

क्यों दबाया जाता है भारी पत्थरों से
किले की तलहटी में कबरबिज्जू जैसे वन्यजीव देखे जाते हैं। इसके अलावा यहां आवारा कुत्ते भी घूमते रहते हैं। मृतक बच्चियों के परिजनों को आशंका रहती है कि अगर गड्ढे में सुलाए गए शव को भारी पत्थरों से नहीं दबाया गया तो कबरबिज्जू या कुत्ते उसके इस शव को गड्ढे से खोदकर निकालकर खा सकते हैं।

तड़के खोदी जाती हैं बेटियों की कब्र
किले की तलहटी से गुजरने वाले लोगों को अक्सर यहां खुदाई के बीच भारी पत्थर मिट्टी से ढंके गड्ढों के ऊपर रखे दिखाई देते हैं। इन पत्थरों के बीच कपड़े, पूजन समग्री के अलावा फावड़ा व गेंती के बेंत (लकड़ी के हत्थे) भी पड़े मिलते हैं। (ऐसी मान्यता है कि शवों को गाढऩे के बाद यह हत्थे अपवित्र हो जाते हैं।) नवजात बच्चियों के शवों को अक्सर यहां सुबह होने से पहले तड़के करीब दो से चार बजे के बीच जगार होने से पहले गाढ़ दिया जाता है। ऐसा परिजनों द्वारा पहचान के भय से किया जाता है। अस्पतालों से जुड़े सूत्र बताते हैं कि गर्भ में बेटियों की हत्या करने वाले चिकित्सक भी गर्भपात की प्रक्रिया अक्सर रात में आरंभ करते हैं। गर्भपात के बाद रात में ही अजन्मे भ्रूण के अपूर्ण विकसित शव को ठिकाने लगाने के लिए परिजनों को सौंप दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में कुछ भ्रूणों के शव कचरे के ढेरों, सड़क किनारे व नालियों में मिले थे। इसके बाद आसपास के नर्सिंग हॉम को पुलिस व प्रशासनिक पूछताछ से गुजरना पड़ा था। सूत्र बताते हैं कि इस तरह की घटनाओं के बाद से गर्भपात करने वाले चिकित्सक परिजनों को शवों को सुरक्षित ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी देते हैं।

अपनी बेटी को दबाने हटाते हैं शवों से पत्थर
किले की तलहटी की इस पहाड़ी में पहले से दर्जनों बेटियां दबी हैं। किले के ढहने से गिरे भारी पत्थरों से इन शवों को दबाया जा रहा है। ऐसे में अपनी बेटी के शव को दबाने के लिए भारी पत्थर नहीं मिलने पर अन्य शवों के ऊपर से भारी पत्थर उठाकर अपनी बेटियों के शवों पर रख दिया जाता है। यहां यह क्रम निरंतर चल रहा है।

हत्या के बाद देवी पूजा का ढोंग
बेटी की गर्भ में हत्या के बाद उसे जमीन में गाढऩे से पहले परिजनों द्वारा उसका देवी के रूप में पूजन का ढोंग किया जाता है। धर्म और मानवता को शर्मशार कर देने वाला देवी पूजा का यह घ्रणित स्वरूप किसी भी धर्म में उल्लेखित या प्रचलित नहीं मिलता।

आखिर कौन लेगा यह जिम्मेदारी

बेटियों की गर्भ में हत्या रोकने के लिए शासन और प्रशासन द्वारा जिस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं, वह नाकाफी साबित हो रहे हैं। बेटियों के प्रति समाज की मानसिकता बदलने के लिए प्रदेश और केन्द्र सरकारें निरंतर अभियान चला रही हैं। सोनोग्राफी सेन्टरों पर सख्ती और सख्त कानून बनाए जाने के बावजूद समाज का बड़ा वर्ग शहर में और पडौसी राज्यों के आगरा, झांसी, धौलपुर जैसे शहरों में बेटियों की गर्भ में पहचान कराकर उनकी गर्भ में हत्या कर रहा है। जिन सुनसान पहाडिय़ों, स्थानों पर इन अजन्मी या नवजात बेटियों को गाढ़ा जा रहा है, उसकी सूचना भी स्थानीय लोग पुलिस या प्रशासन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी लेना नहीं चाहते। वहीं हाल ही में प्रदेश के महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा जिला एवं वार्ड स्तर पर गठित किए गए शौर्या दल भी औचित्यहीन दिखाई पड़ रहे हैं।

इन्होंने कहा

'गर्भस्थ एवं नवजात बेटियों की हत्या कर किले की तलहटी में दफनाए जाने की जानकारी आपके माध्यम से पता चली है। समाज का यह कृत्य निंदनीय है। इस संबंध में जानकारी लेकर जरूरी कदम उठाए जाएंगे। समाज के अंदर की इन विकृतियों के खिलाफ सरकार ने सख्त कानून बनाए हैं और सामाजिक जागरुकता के भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।'

श्रीमती माया सिंह,
महिला एवं बाल विकास मंत्री म.प्र. शासन

'भ्रूण हत्या के मामलों में भ्रूण को गर्भ से काटकर निकाला जाता है। ऐसे में छोटे आकार के भ्रूण को कटी हुई अवस्था में गाढ़े जाने की संभावना कम ही है। फिर भी ऐसा है तो दिखवाएंगे और कार्रवाई करेंगे।

डॉ. संजय गोयल
कलेक्टर ग्वालियर

'आपके माध्यम से यह जानकारी मिली है। इस बात की सम्पूर्ण तहकीकात कराई जाएगी। अगर इस तरह के अवैधानिक कृत्य के प्रमाण मिलते हैं तो पुलिस के सहयोग से कार्रवाई की जाएगी।'

डॉ. अनूप कम्ठान
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ग्वालियर

'भ्रूण हत्या कर दफनाए जाने की जो जानकारी आपके माध्यम से संज्ञान में लाई गई है। इसे दिखवाया जाएगा। साथ ही इस घ्रणित कृत्य के खिलाफ समाज में जागरुकता लाने का प्रयास किया जाएगा। शौर्या दलों को इस दिशा में काम करने के लिए भी कहेंगे, जिससे इस अनैतिक कृत्य के खिलाफ समाज खड़ा हो सके और दोषियों पर कार्रवाई की जा सके।

शालीन शर्मा
जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी ग्वालियर

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