इसरो रचेगा इतिहास, पहली बार लॉन्च करेगा स्वदेशी स्पेस शटल
श्रीहरिकोटा| भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अर्थात इसरो अब एक नया इतिहास रसने जा रहा है। मेक इन इंडिया की परिभाषा देते हुए ये पूरी तरह से भारत में बनाया गया स्पेस शटल है। इस स्पेस शटल को अंतरिक्ष में भेजनी की तैयारी अब लगभग अंतिम चरणों में है। इस स्पेस शटल का वजन एक बड़ी कार जितना है जिसे श्रीहरिकोटा में बनाया जा रहा है। इंजीनियरों का मानना है कि यदि उपग्रहों को कक्षा में प्रक्षेपित करने की लागत को कम करना हो तो इसे दोबारा इस्तेमाल किया जाए। जिससे कि इसकी लागत में कमी हो सकें।
यूं तो पूर्णत: भारतीय स्पेस शटल बनाने की योजना करीब 15 साल पुरानी थी लेकिन इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के दल ने इस प्रोजेक्ट पर करीब 5 साल पहले काम करना शुरू किया। आरएलवी-टीडी तकनीक पर आधारित एयरोप्लेन के आकार वाले 6.5 मीटर लंबे और 1.75 टन वजन के इस स्पेस शटल को विशेष तरह के रॉकेट बूस्टर की मदद से प्रक्षेपित किया जाएगा।
तिरूवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र के निदशक के. सिवान ने कहा कि यह एक शुरुआत है। ये हनुमान के बड़े कदम की दिशा में अभी नन्हें कदम है। ये बच्चों का खेल नहीं है इसे पुन: प्रयोग में लाने के लिये 10 से 15 सालों का समय और लगेगा।
यदि ऐसा होता है भारत विश्व के उन देशों की सुचि मे शामिल हो जाएगा जिसने स्वदेशी स्पेस शटल बनाकर प्रक्षेपित किया हो। इन देशों में अब तक अमेरिका, जापान, रूस और फ्रांस ही शामिल है। प्रक्षेपण के बाद भारत विश्व का पांचवा देश होगा जिसने स्वदेशी स्पेश शटल का निर्माण कर प्रक्षेपित किया है।