रक्षा सौदों में “ भ्रष्टाचार ” के गठजोड़ को तोड़ दिया है : पर्रिकर

Update: 2016-05-28 00:00 GMT

रक्षा सौदों में “ भ्रष्टाचार ” के गठजोड़ को तोड़ दिया है : पर्रिकर


 

नई दिल्ली : एक न्यूज़ एजेंसी को दिए साक्षात्कार में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को कहा कि बिचौलियों, हथियार एजेंट और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के बीच के गठजोड़ को तोड़ दिया गया है। पर्रिकर ने इसे एनडीए-भाजपा सरकार की ‘सबसे महत्वपूर्ण एवं बड़ी उपलब्धियों’ में से एक करार दिया। पर्रिकर ने यह भी जोर देकर कहा कि विरासत में उन्हें एक ऐसा मंत्रालय मिला था जिसके विभाग में " भय " अधिकारियों के मन मस्तिष्क में जड़ों तक व्याप्त था, जहां कोई भी अधिकारी किसी भी तरह के निर्णय लेने से बचता था और निर्णय लेने से इनकार करता था, उस व्यवस्था को बदलना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती थी।

उन्होंने अपनी अन्य उपलब्धियों में पारदर्शिता और त्वरित निर्णय लेने की प्रक्रिया के साथ व्यापार करने में आसानी को भी गिनाया।

पर्रिकर ने एक साक्षात्कार में कहा, हमारे कार्यकाल में हमने भ्रष्टाचार के उस गठजोड़ को तोड़ दिया है जो बिचौलियों और हथियार एजेंटों को रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क बनाने में अहम भूमिका निभाता था। उन्होंने कहा कि चीजें इतनी बदल गई हैं कि अधिकारियों को किसी फाइल पर नकारात्मक टिप्पणी लगाने से भय नहीं होता। जिससे वे पहले बचते नजर आते थे

उन्होंने कहा, उपलब्धि का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु मानसिकता में परिवर्तन है। मंत्रालय भय और मानसिकता की जड़ों में फंसा हुआ था। मैं भय की इस बाधा को तोड़कर एक विश्वास का माहौल निर्मित करने में सफल हुआ हूं, पूर्ण नहीं तो आंशिक रूप से तो जरूर. जो कि मंत्रालय के लिए आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त रूप से अच्छा है।’ पर्रिकर ने नवम्बर 2014 में वित्त मंत्री अरूण जेटली के बाद मंत्रालय का प्रभार संभाला था। पर्रिकर ने अपने मंत्रालय से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बात की जिसमें राफेल जेट सौदा, अगस्तावेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला और खरीद फरोक्त के कार्यक्रम भी शामिल थे।

पर्रिकर ने अगस्तावेस्टलैंड मामले की जांच पर कहा कि जांचकर्ता पत्रकारों सहित उन लोगों के लगभग करीब पहुंच गए हैं जिनके संबंध वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाले से जुड़े हुए हैं, अगला प्रयास सबूतों के साथ धनराशि के तार का पता लगाना है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय में कई अधिकारी यह जानते थे कि हेलीकाप्टर सौदे के लिए इतालवी कंपनी ही चुनी जाए यह सुनिश्चित करने के लिए ‘हेराफेरी’ की जा रही है. उन्होंने कहा कि, उन अधिकारियों में गलत कृत्यों के बारे में बोलने का साहस नहीं था क्योंकि सौदे से संबंधित प्रमुख नौकरशाह सत्ता के केंद्र के बहुत नजदीक थे। वह नजदीकी सम्पर्क इस तथ्य से प्रमाणित होते हैं कि उनमें से अधिकतर को सेवानिवृत्ति या उनका कार्यकाल पूर्ण होने के उपरांत प्रतिष्ठित पद दिये गए।’ उन्होंने कहा कि सौदे से जुड़े छह महत्वपूर्ण लोगों को पुरस्कृत करने वाले प्रतिष्ठित पद दिये गए। पर्रिकर ने कहा कि ये लोग सियासी दिग्गजों के कृपापात्र व्यक्ति हैं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘कोई भी मुझे प्रभावित नहीं कर सकता।’ उन्होंने यह भी कहा की उनका निर्णय गुण-दोष और उस पर आधारित होता है जो फाइल में वर्णित होता है। उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के आधार पर निर्णय करूंगा। मेरा निर्णय अधिकतर मौकों पर सरकार के लिए लाभदायक साबित होता है। एक या दो बार त्रुटिपूर्ण निर्णय हो सकते हैं लेकिन फैसले उपलब्ध सूचना और उसकी व्याख्या करने की मेरी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के आधार पर ही होते हैं।’ 

पर्रिकर ने साक्षात्कार में एक महत्वपूर्ण बात यह भी कही कि “ वह किसी उपकरण को केवल इसलिए नहीं खरीदेंगे कि क्योंकि जिसे वह जानते हैं उसने उसकी सिफारिश की है और वह किसी को भी केवल इसलिए नहीं खारिज कर देंगे क्योंकि किसी ने उसके लिए जोर दिया है”

उन्होंने कहा, निश्चित तौर पर यदि उत्पाद अच्छा है और कीमत अच्छी है तो मैं उस पर विचार करूंगा। इसीलिए मुझमें यह कहने का साहस है कि बोफोर्स अच्छी तोप है। उसमें भ्रष्टाचार खराब था। जिन लोगों ने भ्रष्टाचार किया उन्हें सजा होनी चाहिए, तोप को नहीं।’ 

पर्रिकर ने अपने शब्दों में बोफोर्स घोटाले से संबंधित आलोचना भी की कि, मंत्रालय ने बोफोर्स विवाद के बाद एक भी तोप नहीं खरीदी थी और स्वयं उन्हें इसे आगे बढ़ाना पड़ा क्योंकि यह मामला तीन दशक से अधिक समय से फंसा हुआ था। उन्होंने इस पर भी सवाल उठाया कि स्वदेशी एवं हल्का लड़ाकू विमान तेजस के निर्माण में 32 वर्ष क्यों लगे।

उन्होंने कहा, ‘विमान की परीक्षण उड़ान 2001 में वाजपेयी जी के शासनकाल में हुई थी। उसके बाद संप्रग सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल के दौरान रक्षा मंत्री ने यह सुनिश्चित करने के लिए कितनी बैठकें की कि एलसीए का उत्पादन शुरू हो और उसे वायुसेना के बेड़े में शामिल किया जाए? लेकिन मैंने वह किया। मैंने इस मुद्दे पर करीब 18 बैठकें की। मैंने दोनों को एकसाथ आगे बढ़ाया। एयरोनाटिकल डेवलप्मेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड से जो जरुरी हो वह करने के लिए कहा.

इन अटकलों के बारे में पूछे जाने पर कि सरकार के पास वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाले में पत्रकारों के खिलाफ सबूत हैं या नहीं, उन्होंने कहा, ‘किसने कहा हमारे पास सबूत हैं? मैं यह नहीं कह रहा कि कोई सबूत नहीं हैं लेकिन ऐसे मामलों में जरूरी सबूत निर्णायक होने चाहिए। इस मसले पर जांच एजेंसीयों को कार्य करने दीजिये। कभी-कभी आपको सबूत मिल जाता है लेकिन उसे किसी विशेष तरीके से जोड़ा नहीं जा सकता। जांच एजेंसियों को अपना काम करने दीजिये। वे धनराशि के तार का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। यह आसान काम नहीं है।’ 

पर्रिकर ने कहा कि ऐसे कई लोग हैं जिनके विदेश यात्रा के टिकट बिचौलिये किश्चियन मिशेल द्वारा बुक कराये गये। उन्होंने कहा, यह साबित करना होगा कि ऐसा एक विशेष कारण से किया गया। चलिये मान लेते हैं कि एक एयर शो है और कोई टिकट भेजता है। इसे भ्रष्टाचार के तौर पर साबित नहीं किया जा सकता। कई बार जब गोवा में विवाह होते हैं, मेजबान मेहमानों को टिकट भेज देते हैं। लेकिन ये भ्रष्टाचार नहीं है क्योंकि वह चाहता हैं कि वे वहां आयें लेकिन यदि ऐसा अक्सर होता है। तब निश्चित तौर पर ये एक विशेष अनुग्रह हो सकता है। तब ये भ्रष्टाचार के दायरे में इसे लिया जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों को खुली छूट दी गई है। रक्षा मंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल के बारे में पूछे जाने पर पर्रिकर ने कहा कि यह अभी तक अच्छा रहा है।

उन्होंने कहा कि भूतपूर्व सैन्यकर्मियों के कल्याण के लिए कई सकारात्मक परिवर्तन सरकार एवं मंत्रालय द्वारा किये गये हैं। इसके अलावा अभियानों में शामिल सशस्त्र बलों का भी ‘मनोबल बढ़ा’ है।

                          

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