उज्ज्वला से उज्ज्वल होता भविष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बलिया से उज्ज्वला योजना की शुरुआत कर देश के गरीबों को सबसे बड़ा तोहफा दिया है। उज्ज्वला योजना से अब उन गरीबों के घरों का चूल्हा रसोई गैस में तब्दील होकर उनकी उन उम्मीदों को पूरा कर सकेगा जिसे वे पैसे के अभाव में अभी तक पूरा नहीं कर सके। इस योजना के लिए भले ही केंद्र सरकार की पीठ थपथपाई जाए लेकिन सबसे ज्यादा बधाई के पात्र वे करोड़ों लोग हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री की एक ही अपील पर गैस से सब्सिडी लेना छोड़ दी।
इन करोड़ों लोगों के सहयोग के चलते ही उज्ज्वला योजना साकार हो सकी। वैसे भी यह सामान्य बात नहीं है कि लगभग एक वर्ष में ही इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने प्रधानमंत्री की इस अपील पर गौर किया कि यदि वे सक्षम हों तो अपनी रसोई गैस सब्सिडी का परित्याग कर दें। यह परित्याग प्रधानमंत्री और साथ ही केंद्र सरकार के प्रति लोगों के भरोसे की एक मिसाल है। यदि यह योजना सही दिशा में चलती रही तो आने वाले समय में सब्सिडी छोडऩे वालों की संख्या और बढ़ सकती है। वैसे भी इस योजना की सफलता को लेकर सुनिश्चित हुआ जा सकता है क्योंकि इसका लक्ष्य तय है और यह भी तय है कि योजना का लाभ किसे दिया जाना है। योजना की दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि इस योजना से लोगों की सेहत तो सुधरेगी ही, साथ ही पर्यावरण की भी रक्षा हो सकेगी। जो लोग अभी तक चूल्हे का सहारा लेकर भोजन बनाते थे, वहां धुआं होने से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा था, साथ ही उन लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा था। अब ऐसे घरों में जब रसोई गैस से चूल्हे जलेंगे तो निश्चित तौर पर उनका स्वास्थ्य तो सुधरेगा ही, साथ ही आसपास का पर्यावरण भी सुधरेगा।
जिस समय उज्ज्वला योजना का प्रधानमंत्री उद्घाटन कर रहे थे, उस समय उन्होंने अपनी सरकार की कुछ अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं का भी उल्लेख किया। केंद्र सरकार की कई ऐसी जनहितैषी योजनाएं हैं जिनका प्रचार प्रसार सही तरीके से नहीं हो पा रहा है जिससे इन योजनाओं का लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा है। जनधन योजना की ही बात करें तो इसकी सही हकीकत लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है जिससे यह खाते बंद हो रहे हैं। लोगों तक यह बात सही तरीके से नहीं पहुंचायी जा पा रही है कि इस योजना के तहत खोले गए खातों का उन्हें नियमित रूप से संचालन करना है। सफाई अभियान की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने लोगों से यह अपील भी की कि वे इस काम को अपने हाथ में लें। यह बात वह पहले भी कई बार कह चुके हैं, लेकिन अभी अपेक्षित परिणाम सामने आते नहीं दिख रहे हैं। स्वच्छता अभियान की सफलता आम लोगों की भागीदारी पर ही निर्भर है। इस अभियान में केंद्र और राज्य सरकारों और उनकी विभिन्न एजेंसियों की भूमिका आवश्यक है, लेकिन उसकी एक सीमा है। बेहतर होगा कि जनकल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ सफाई अभियान जैसी योजनाओं को आगे बढ़ाने के मामले में भाजपा कार्यकर्ता और नेता अतिरिक्त सक्रियता का परिचय दें।
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