यह कहीं दामाद जी की लॉन्चिंग तो नहीं?

Update: 2016-05-07 00:00 GMT

यह कहीं दामाद जी की लॉन्चिंग तो नहीं?

विशेष प्रतिनिधि/नई दिल्ली। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे पुरानी पार्टी के लोग जब राजधानी में सड़क से संसद तक कदमताल करते दिखाई दें तो इसकी चर्चा होना अवश्यंभावी है। लेकिन यह पैदल मार्च लोकतंत्र को बचाने के लिए कम, बेदम होती कांग्रेस में जान डालने के लिए की गई कोशिश ज्यादा नजर आती है। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि कांग्रेस के इस पैदल प्रदर्शन में कांग्रेस के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के पोस्टर भी दिखाई दिए। राजनीतिक पंडितों की मानी जाए तो यह राबर्ट के राजनीति में आने का संकेत है।

यदि यह कयास सही है तो कांग्रेस गलत समय पर एक बड़ी गलती करती नजर आ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस यदि सबसे ज्यादा डैमेज किसी बात से हुई है तो वह है आजादी के बाद से लेकर उसके सत्तासीन रहने तक किए गए बड़े-बड़े घोटाले। वर्तमान में भी जब वह सत्ता में नहीं है तब नेशनल हेराल्ड, अगस्ता वेस्टलैंड डील जैसे मामलों में सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल के सीधे लिप्त होने के आरोप लग रहे हैं। उधर दूसरी ओर उसके शासन वाले राज्यों में भी कांग्रेस का ग्राफ तेजी से नीचे आ रहा है। साफ है सोनिया, राहुल के सामने सबसे बड़ा संकट कांग्रेस के गिरते ग्राफ को ऊपर लाना है। आज के पैदल मार्च को भले ही लोकतंत्र बचाओ का नाम दिया गया लेकिन इसके पीछे कांग्रेस बचाओ का उद्देश्य साफ तौर पर परिलक्षित होता दिखाई दिया है।

कांग्रेस में इस बात को लेकर बेहद घबराहट है कि उसपर जो पुराने भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं उससे वो उबर नहीं पा रही है। आज उसके पास ऐसा एक भी बड़ा नेता नहीं है जो भ्रष्टाचार की कालिख से अछूता हो। और जो गिने-चुने लोग हैं भी उन्हें गांधी परिवार आगे आने नहीं देता। यही वजह है कि लोकतंत्र बचाओ के नाम पर निकाले गए मार्च में सोनिया के दामाद राबर्ट का पोस्टर प्राथमिकता से लहराता दिखाई दिया।

कांग्रेस प्रवक्ता सिंघवी भले ही यह कहेें कि कांग्रेस में लोकतंत्र है और कोई किसी का भी पोस्टर लहरा सकता है। लेकिन सिंघवी के पास इस बात का जवाब नहीं है कि वो राबर्ट वाड्रा जिन पर हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्यों में बड़े भूमि घोटालों के आरोप लगे हैं, जिनके पास राजनीति के क ख ग का भी ज्ञान नहीं है उनको इतनी प्राथमिकता क्यों? निश्चित रूप से इस घटनाक्रम के बाद यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि राबर्ट वाड्रा कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय तौर पर हिस्सा लेंगे, यदि यह कयास सही साबित होते हैं तो यह न कांगे्रस के लिए शुभ संकेत है न इस देश के लिए।

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