उत्तराखंड : सुप्रीम कोर्ट से भी बागी विधायकों को राहत नहीं, नहीं डाल पायेंगे वोट

Update: 2016-05-09 00:00 GMT

उत्तराखंड : सुप्रीम कोर्ट से भी बागी विधायकों को राहत नहीं, नहीं डाल पायेंगे वोट

नई दिल्ली। उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस के 9 बाग़ी विधायक वोट नहीं डाल पाएंगे। उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट से एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के 9 बाग़ी विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए बाग़ी विधायकों की याचिका पर सुनवाई 12 जुलाई को करने का फैसला किया है।

इससे पहले हाईकोर्ट ने बाग़ी विधायकों की याचिका खारिज कर दी थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को दिए अपने फैसले में कहा था कि कांग्रेस के 09 बाग़ी विधायक अयोग्य ही रहेंगे। विधायकों ने स्पीकर गोविंद सिंह द्वारा अयोग्य ठहराए जाने को अदालत में चुनौती दी थी। उधर उत्‍तराखंड विधानसभा स्‍पीकर ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर फैसला सुनाने से पहले उनका पक्ष सुनने का अनुरोध किया।

हाईकोर्ट के फैसले के बाद ये सभी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जहां मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को दीपक मिश्रा की बेंच के पास भेज दिया था। कांग्रेस के बाग़ी विधायको में अमृता रावत, हरक सिंह रावत, प्रदीप बतरा, प्रणव सिंह, शैला रानी रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल, सुबोध उनियाल, उमेश शर्मा, विजय बहुगुणा शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुबह 11 बजे उत्तराखंड विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने आदेश दिया था कि विधानसभा के प्रधान सचिव की निगरानी में दोनों पक्ष वोटिंग करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को बहुमत साबित करने का पहला मौका देने का फैसला किया है। फ्लोर टेस्ट की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी। वोटिंग और मतदान की वीडियोग्राफी को सीलबंद लिफाफे में 11 मई को सुप्रीम कोर्ट को सौंपा जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 11 मई को होगी।

फ्लोर टेस्ट से पहले विधायकों की सुरक्षा और उनके विधानसभा पहुंचने तक सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विधायकों के आवास पर अतिरिक्त पुलिस फोर्स की व्यवस्था कराई गई है। विधानसभा के अंदर से लेकर बाहर तक की व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए है। पूरे शहर में मंगलवार अपराह्न 3 बजे तक धारा 144 लागू कर दी गई है।

उत्तराखंड में संवैधानिक संकट 18 मार्च को शुरू हुआ था जब विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की भाजपा की मांग का कांग्रेस के नौ विधायकों ने समर्थन किया था। इसके परिणामस्वरूप राज्य में सियासी संकट उत्पन्न हो गया और केंद्र सरकार की सिफारिश पर 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इस समय 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 28, कांग्रेस के 27 और बसपा के दो और तीन निर्दलीय विधायक हैं। एक विधायक उत्तराखंड क्रांति दल (पी) का है। कांग्रेस के नौ विधायक अयोग्य हैं और भाजपा का एक बागी विधायक है।

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