यदि हो जाता है तिघरा फुल तो नहीं होगी परेशानी

Update: 2016-09-20 00:00 GMT

*733 फुट पर पहुंचा जलस्तर, ककैटो-पहसारी से आ रहा है पानी     मात्रा को लेकर जलसंसाधन और निगम में अब भी विवाद

ग्वालियर, वरिष्ठ संवाददाता। एक ओर जहां इस बार मानसून रूठ गया है, वहीं तिघरा में पानी और वहां से शहर को प्रतिदिन जलापूर्ति के मामले को लेकर नगर निगम तथा जलसंसाधन विभाग के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। हालांकि न्यायलय के आदेश पर फिलहाल निगम ने प्रतिदिन जलापूर्ति शुरू कर दी है। हालांकि जलसंसाधन विभाग द्वारा दिए जा रहे पानी के बाद जलाशय के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है।

उल्लेखनीय है कि तिघरा जलाशय शहर में जलापूर्ति का प्रमुख स्त्रोत है। इसके चलते नगर निगम ही नहीं बल्कि शहरवासियों को भी इसके जलस्तर में घटबढ़ को लेकर चिंता बनी रहती है। यह भी सही है कि इसका जलस्तर मुख्य रूप से मानसूनी बारिश पर ही निर्भर है और इस बार पर्याप्त बारिश नहीं होने से 740 फीट की क्षमता वाले इस जलाशय में वर्तमान में लगभग 733 फीट पानी है,यह स्थिति भी ककैटो,पहसारी से इसमें पानी आने के बाद है।

तीन एमसीएफटी से अधिक पानी हो रहा बर्बाद
अब यदि मौसम विभाग की मानें तो मानसून लगभग विदाई ले चुका है जिसके चलते बारिश के पानी से तिघरा का जलस्तर बढऩे की संभावनाएं लगभग समाप्त हो गई हैं। लेकिन जलसंसाधन विभाग निगम को शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए ककैटो और पहसारी से प्रतिदिन 7.50 एमसीएफटी पानी उपलब्ध करा रहा है लेकिन नगर निगम उससे 9 एमसीएफटी पानी प्रतिदिन दिए जाने की मांग कर रहा है जिसे लेकर दोनों विभागों में विवाद की स्थिति बनी हुई है। वहीं जलसंसाधन विभाग का दावा है कि वह जलाशय को इसकी इसकी क्षमता अनुसार पूरा भर देगा।

पानी की बर्बादी का आरोप
उधर जलसंसाधन विभाग का नगर निगम पर यह भी आरोप है कि वह लीकेज आदि के कारण पानी की बर्बादी को रोकने में पूरी तरह असफल साबित हो रहा है। यदि वह पानी की बर्बादी रोकने के उचित उपाय करे तो शहर की करीब 12 लाख की आबादी को 135 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से 6 एमसीएफटी पानी से भी नियमित पानी आपूर्ति को जारी रखा जा सकता है। लेकिन प्रतिदिन लगभग 3 एमसीएफटी पानी लीकेज आदि से बर्बाद हो रहा है,वहीं निगम इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा।

बढ़ रहा है तिघरा का जलस्तर

ककैटो और पहसारी से पानी आने के कारण तिघरा का जलाशय वर्तमान में लगातार बढ़ रहा है। उधर नगर निगम ने न्यायालय के आदेश पर बीती 11 सितम्बर से प्रतिदिन पानी आपूर्ति तो शुरू कर दी है लेकिन इसके साथ ही उसने यह आवेदन भी दिया है कि तिघरा में पर्याप्त पानी नहीं होने से इस व्यवस्था में परेशानी आ रही है। इधर बारिश के बावजूद यदि पिछले एक माह की बात करें तो उस दौरान एक दिन के अंतराल से पानी आपूर्ति की गई लेकिन तिघरा का जलस्तर बढ़ता रहा क्यों कि जलसंसाधन विभाग द्वारा ककैटो और पहसारी से इसमें पानी छोड़ा जा रहा था। यदि आज की स्थिति में तिघरा को प्रतिदिन 7.50 एमसीएफटी पानी मिलता है तो यह फरवरी-मार्च 2017 तक के लिए पर्याप्त है। लेकिन इसके बाद परेशानी आ सकती है। वहीं जलसंसाधन विभाग यदि अपने दावे के अनुसार तिघरा का जलस्तर 738 फीट तक पहुंचा देता है तो अगली बारिश आने तक प्रतिदिन पेयजल आपूर्ति में कोई परेशानी नहीं आएगी।

2013 में हुआ था तिघरा लबालब
यदि आंकड़ों की बात करें तो आज से तीन वर्ष पहले बारिश के पानी से ही तिघरा लबालब हो गया था। इसके चलते सितम्बर 2013 में इसका जलस्तर 738.40 फीट था। वहीं वर्ष 2104 में 733.70,सितम्बर 2015 में यह आंकड़ा 735.05 फीट था। जबकि वर्तमान में इसका जलस्तर 733 फीट के करीब है जो कि जलससंाधन विभाग से मिल रहे पानी के कारण है।

इनका कहना है

वर्तमान में तिघरा का जल स्तर लगभग 733 फीट है। 11 सितम्बर से प्रतिदिन जलापूर्ति की जा रही है। आज की स्थिति में यदि इसे जारी रखा जाता है तो फरवरी-मार्च तक के लिए ही पानी तिघरा में है। हमने जलससंधान विभाग से 9 एमसीएफटी पानी की मांग की थी लेकिन वहां से 7.50 पानी भी प्रतिदिन नहीं मिल रहा है। यदि जलसंसाधन विभाग अपने दावे के अनुसार तिघरा को फुल कर देता है तो इसे जारी रखने में निगम को कोई परेशानी नहीं है।

धर्मेन्द्र राणा
प्रभारी सदस्य जलकार्य विभाग
महापौर परिषद

Similar News