कोचों की सीटों पर लगेगी रीडिंग लाइट, ब्रेल लिपि में भी अंकित होंगे सीट नम्बर
ग्वालियर। रेल में यात्रा करने वाले दृष्टि बाधित यात्रियों को अब अपनी सीट ढूंढऩे के लिए दूसरों की मदद नहीं लेना पड़ेगी। जानकारी के अनुसार आरक्षित कोच में रेलवे अब अंक और शब्दों के अलावा ब्रेल लिपि में भी स्लीपर और सीट नम्बर अंकित करेगा। द्वितीय क्लास स्लीपर कोच को एसी क्लास के कोच की सुविधाओं से लैस किया जा रहा है।
रीडिंग लाइट में एलईडी बल्व का इस्तेमाल किया गया है। पूरे कोच की सभी रीडिंग लाइट दस वॉट से भी कम बिजली इस्तेमाल करती हैं। कोच के हर एक कम्पार्टमेंट में स्पीकर लगे होंगे। इन पर यात्रियों को आने वाले स्टेशन की जानकारी दी जाएगी। वहीं एसी कोच की तरह हर बर्थ पर पढऩे वाली लाइट लगाई गई है।
मेले में किया गया था प्रदर्शन
सूरजकुंड में लगे रेल विकास शिविर में इस नए कोच का डिस्प्ले किया गया था। भोपाल की निशातपुर कोच पुनर्निर्माण कार्यशाला में तैयार किए गए इस कोच में सीटों के नम्बर ब्रेल लिपि में अंकित किए गए हैं।
बुंदेलखंड में लगेंगी एलईडी ट्यूबलाइट
अभी ट्रेनों के एसी, स्लीपर और सामान्य श्रेणी के कोच में लाइट बैटरी से जलती है। कोच के अंदर 20 वॉट की ट्यूबलाइट लगी होती हैं। इनसे बिजली की ज्यादा खपत होती है। रेलवे ने बिजली की खपत कम करने के लिए कोचों में एलईडी ट्यूबलाइट लगाने का फैसला किया है, जिसमें सबसे पहले ग्वालियर से वाराणसी जाने वाली बुंदेलखंड में एलईडी ट्यूबलाइट लगाई जाएंगी।
इसलिए लगेंगी ट्यूबलाइट
कोचों के अंदर सीएफएल और ट्यूबलाइट्स लगी हैं। उसकी फिटिंग के हिसाब से एलईडी बल्ब लगना मुश्किल है। पूरी फिटिंग में एलईडी ट्यूबलाइट्स आसानी से फिट हो सकती हैं, इसलिए रेलवे एलईडी ट्यूबलाइट्स ही कोच में लगवाएगा। एलईडी बल्ब लगाने के लिए कोच बदलने पड़ेंगे और यह खर्चीला होगा। इस वजह से ट्यूबलाइट्स पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
60 प्रतिशत तक बिजली की बचत
अभी ट्रेनों के कोचों में 20 वॉट क्षमता वाली ट्यूबलाइट लगी हैं। नई योजना के तहत आठ से नौ वॉट की ट्यूबलाइट लगेंगी। इससे 50 से 60 प्रतिशत तक बिजली बचाई जा सकेगी।
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