गंभीर आपराधिक मामलों के आरोपी चुनाव लड़ेंगे या नहीं इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगा

Update: 2017-01-05 00:00 GMT


गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी लोगों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करने से संबंधित दायर की गई एक पिटीशन पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। कोर्ट ने 5 जजों की स्पेशल बेंच बनाई है जो अब इस मामले में आगे की सुनवाई करेगी। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस याचिका को गंभीरता से लिया है और 5 राज्यों में इलेक्शन को देखते हुए जल्द ही ये बेंच इस मामले में कोई अहम् फैसला भी सुना सकती है।


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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले कहा था कि नेता धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर वोट नहीं मांग सकते और ये गैर कानूनी है। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व के मुद्दे पर दायर कई पिटीशन्स पर बीते सोमवार को सुनवाई करते हुए कहा था कि धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर नेता वोट मांगना अपराध की श्रेणी में आता है। चुनाव एक सेक्युलर प्रॉसेस है और इसका पालन किया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की समेत 4 जजों ने धर्म, भाषा, संप्रदाय और जाति के नाम पर वोट मांगने को करप्ट प्रैक्टिस माना था।

हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा था कि इंसान और भगवान के बीच रिश्ता अपनी निजी पसंद का मामला है। सरकार को इससे खुद को अलग रखना चाहिए। इस फैसले को सुनाने वाली बेंच में जस्टिस एमबी लोकुर, जस्टिस एनएल राव, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एके गोयल और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे। बता दें कि जस्टिस टीएस ठाकुर, जस्टिस मदन बी लोकुर, एल नागेश्वर राव और एसए बोबड़े इस फैसले पर राजी थे। जबकि बेंच के 3 जज जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस आदर्श गोयल और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इसके विरोध में थे।

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