-जल्दी ही लागू होगा जर्मन तकनीक ट्रेन प्रोटेक्शन वॉर्निंग सिस्टम इस्तेमाल
इलाहाबाद। हावड़ा-दिल्ली मार्ग पर जल्द ही ट्रेनों का सफर सुरक्षित होने जा रहा है। इसके लिए जर्मन तकनीक ट्रेन प्रोटेक्शन वॉर्निंग सिस्टम इस्तेमाल करने की तैयारी है। विदेशी तकनीक ट्रेन चालक ओर सिगनल पर नजर रखेगी। लापरवाही भांपने पर यह तकनीक ट्रेन में खुद ब्रेक लगा देगी।
हावड़ा-दिल्ली रूट पर गाजियाबाद से मुगलसराय तक पांच खंडों में ट्रेन प्रोटेक्शन वॉर्निंग सिस्टम(टीपीडब्लूएस) लगाने की तैयारी उत्तर मध्य रेलवे प्रशासन ने की है। इसके लिए बहुत जल्द टेंडर होने जा रहा है। उत्तर मध्य रेलवे के जीएम एमसी चौहान ने संरक्षा एवं समय पालनता की बीती बैठक में इसके लिए निर्देश दिया था। यह तकनीक रेलवे मुसाफिरों को सुरक्षित सफर कराने के लिए काफी मुफीद मानी जा रही है।
क्या है टीपीडब्ल्यूएस
टीपीडब्ल्यूएस जर्मनी में शुरू की गई ट्रेन रक्षा एवं चेतावनी प्रणाली है। यह तकनीक सिगनल पर नजर रखती है। साथ ही यह भी देखती है कि ट्रेन चालक ने सिगनल का पालन किया या नहीं। अगर चालक ने सिगनल की अनदेखी कर दी। तो प्रणाली पहले इंजन में लगे बजर से चालक को चेतावनी देगी। इसके बाद भी चालक सक्रिय न हुआ तो प्रणाली अपने आप ट्रेन रोक देगी।
इस तरह करेगी काम
उत्तर मध्य रेलवे के अधिकारियों के अनुसार टीपीडब्ल्यूएस के तहत गाजियाबाद से मुगलसराय तक हर सिग्नल के पास ट्रांसमीटर लगेगा। वहीं, ट्रेन के इंजन में रिसीवर लगेगा। ट्रांसमीटर के संपर्क में आते ही रिसीवर को सिगनल मिलेगा। उस अनुसार रिसीवर ट्रेन की स्पीड की गणना करेगा। अगर स्पीड पांच किमी. तक ज्यादा मिली तो चेतावनी देगा। लेकिन स्पीड 10 किलोमीटर ज्यादा मिली तो ट्रेन को रोक देगा। रिसीवर में चालक की हरकतें भी कैद होंगी। मसलन चालक ने अगर गड़बड़ी की तो यह प्रणाली बता देगी।