प्रेमचंद गोयल ने कहा - भारत 2025 में पुन: बनेगा विश्व गुरु

Update: 2017-12-11 00:00 GMT

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक प्रेमचंद गोयल ने संघ और उसके आनुषांगिक संगठनों के वर्तमान में समाज में चल रहे सेवा कार्यों की प्रगति पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए विश्वास जताया कि वर्ष 2025 में भारत पुन: विश्व गुरु का स्थान प्राप्त करेगा। उन्होंने कहा कि सेवा कार्य के माध्यम से ही देशभर में हिन्दुत्व से दूर चले गए 28 लाख बंधुओं की घर वापसी संभव हुई है।

प्रेमचंद गोयल ने यह बात रविवार को उत्तरी दिल्ली के संत रविदास पुरी के ई ब्लॉक में सेवा भारती के नए भवन की आधारशिला रखने के लिए आयोजित भूमि पूजन कार्यक्रम में कही। सेवा भारती बाला साहेब देवरस सेवा केन्द्र के नाम से विख्यात इस केन्द्र को दिल्ली का पहला केन्द्र होने का गौरव प्राप्त है। इसकी शुरुआत संघ के तृतीय सरसंघचालक रहे परम पूजनीय बाला साहेब देवरस ने की थी।

गोयल ने कहा कि पहले कार्य को बढ़ाने के लिए जोड़ने के फार्मूले पर काम चलता था अर्थात एक केंद्र है तो उसे दो करो, दो हैं तीन लेकिन अब समय ऐसा आ गया है कि कार्य मल्टीप्लाई (गुणा) होता है। अब दो से तीन नहीं बल्कि चार होता है, चार से 16 होता है और 16 से 256 होता है। हमारा विश्वास है कि आने वाले 7-8 वर्षों में यानि 2025 में भारत दुनिया में विश्व गुरु का स्थान प्राप्त करेगा और इसका साधन ये सेवा भारती और सेवा कार्य ही बनेंगे। तब देश के अंदर रात को कोई प्राणी भूखा नहीं सोएगा। उन्होंने 1964 की अपनी वृंदावन यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि श्रीगुरु गोलवलकर जी ने उस समय वहां अपने एक भाषण में भविष्यवाणी की थी कि 2022 में भारत की धरती पर पूर्ण रूप से गौहत्या बंद होगी और ये भी हमें साकार होती दिख रही है।

प्रेमचंद गोयल ने कहा कि समाज में अनेक भिन्नताओं के बावजूद सब को जोड़ने और स्वाभिमान जागृत करने का यह सेवा कार्य आज भारत में ही नहीं बल्कि 28 देशों में चल रहा है। सौभाग्य की बात है कि पूजनीय सरसंघचालक जी ने 15 बालकों को लेकर इसी रविदास पुरी के केंद्र से शिक्षण केंद्र की शुरूआत की। यह कार्य आज पूरे देश में एक लाख 63 हजार सेवा कार्य चल रहे हैं। भारत से बाहर भी 55 हजार सेवा कार्य चल रहे हैं। केवल सेवा भारती ही नहीं और भी संगठन हैं जो इस सेवा कार्य में लगे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि सेवा किसी के लिए नहीं हो सकती जिसको हम अपना समझते हैं उसी के लिए सेवा होती है। वसुधैव कुटुम्बकम विश्व का प्रत्येक प्राणी मात्र मेरा अपना है यह सोच जागृत करने के लिए ही वास्तव में सेवा होती है। परिवार में भी ऐसा होता है छोटे बच्चे को प्यार करना और बड़े बुजुर्ग की सेवा करना क्योंकि अपने हैं। जहां अपनत्व है वहीं सेवा हो सकती है। सेवा भारती का उद्देश्य भी यही है।

प्रेम ने कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि हमारा अपना ही समाज बीच के परकीय शासन के कारण हमारे से दूर चला जा रहा था। परकीय शासकों के माध्यम से सेवा कर उनका धर्म परिवर्तन भी करते थे ऐसे समाज को घर वापस लेकर के आना है। आज दावे के साथ कह सकता हूं कि पूरे देश के अंदर 28 लाख बंधु जो हिन्दुत्व से दूर चले गए थे वो आज सेवा के माध्यम से घर वापस आए हैं।

इस मौके पर सुकदेव जी प्रान्त सेवा प्रमुख, राम कुमार प्रान्त महामंत्री सेवा भारती, सतीश मखीजा, ओमप्रकाश पाठक, ओमकार नाथ सूद, संगीता त्यागी और निगम पार्षद गरिमा गुप्ता सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।

Similar News