दौलत बटोरकर पिता से तोड़ लिए संबंध

Update: 2017-12-02 00:00 GMT

-दौलत के लालची स्वर्ण कारोबारी ने खूंटी पर टांगी शर्म और संवेदना
ग्वालियर।
करोड़ों हिन्दुओं के आराध्य भगवान श्री ‘राम’ का नाम जब भी जुवान पर आता है। एक आदर्श पुत्र की छवि सहज हृदय में उभर जाती है, जिन्होंने पिता द्वारा सौतेली मां को दिए गए वचन को निभाने के लिए राजगद्दी त्यागकर 14 वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार किया था। हमारे इस समाज में पिता-पुत्र का नाता तो आज भी मौजूद है, लेकिन सम्पत्ति का लालच रिश्तों पर किस हद तक हावी हो चुका है।

इसका बेशर्मी भरा और घृणिततम उदाहरण शुक्रवार को अखबार में छपी एक विज्ञप्ति के माध्यम से सामने आया। जैन पंथ से संबंध रखने वाले शहर के एक स्वर्ण कारोबारी साहूकार ने अखबार में विज्ञप्ति छपवाकर सर्व साधारण को सूचित किया कि शहर से लाखों-करोड़ों का कर्ज ले चुके उसके पिता का अब उससे कोई संबंध नहीं है। किसी भी लेन-देन के लिए उसका पिता स्वयं जिम्मेदार होगा, वह नहीं।  

अखबारों में इस तरह की विज्ञप्तियां अब तक जुआरियों, नशेड़ियों और अपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्तियों के परिजनों द्वारा कानूनी परेशानियों और देनदारियों से बचने के लिए छपवाई जाती रही हैं, लेकिन शुक्रवार को अखबार में विज्ञप्ति प्रकाशित कराने वाला यह सेठ पुत्र शहर का प्रतिष्ठित स्वर्ण कारोबारी है। विज्ञप्ति में इसने स्पष्ट किया है कि जिस नाम के संस्थान से यह स्वयं सोने का कारोबार करता है, उसी नाम से उसके पिता ने भी दुकान खोल ली है। चूंकि उसका पिता शहर के कारोबारियों से करोड़ों की उधारी लेकर दबाए बैठे हैं। इस कारण वह किसी भी प्रकार से लेन-देन का जिम्मेदार नहीं होगा। उधारी लेने वाले सेठ स्वयं की खराब आर्थिक स्थिति बताकर उधारी वापस करने में आनाकानी कर रहे हैं। इस कारण उधारी देने वालों ने जब सेठ पुत्र को टोकना शुरू किया तो इस करोड़पति सेठ पुत्र ने पिता से संबंध विच्छेद की विज्ञप्ति अपने अभिभाषक के माध्यम से प्रकाशित कराकर तकादे वालों से पीछा छुड़ाने का प्रयास किया है।

पिता-पुत्र का मिला-जुला खेल!

सूत्र बताते हैं कि पिता से संबंध विच्छेद की विज्ञप्ति प्रकाशित कराना पिता-पुत्र की मिली-जुली चाल है। करोड़ों की उधारी बटोरने वाले सेठ ने अपनी कई चल व अचल संपत्तियां बेटे और परिजनों के नाम कर दी हैं। बताया जा रहा है कि सोने की दुकान में भी पिता ने उधारी का पैसा उड़ेल दिया है। अब सेठ स्वयं उधारी का पैसा वापस कर पाने में असमर्थता व्यक्त कर रहा है, जबकि इन लेनदारों से बचने के लिए बेटे ने विज्ञप्ति के माध्यम से पिता से संबंध विच्छेद कर लिए हैं। सूत्र कहते हैं कि यह सब उधारी पटाने से बचने के लिए पिता-पुत्र की चाल है। यहां खास बात यह है कि बेटे द्वारा पिता से संबंध विच्छेद की जो विज्ञप्ति छपवाई गई है, उसमें पिता और पुत्र दोनों के निवास के पते एक ही उल्लेखित किए गए हैं।

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