नई दिल्ली। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के प्रभावों से जूझ रहे देश के कपड़ा और परिधान उद्योग के लिए 2018 चुनौतीपूर्ण रह सकता है और 2017-18 में इस क्षेत्र से 45 अरब डॉलर निर्यात का लक्ष्य हासिल हो पाने में कठिनाई हो सकती है। निर्यात में लगातार हो रही कमी के बीच परिधान निर्यातकों ने मांग की है कि उनके लिए शुल्क वापसी की दर जीएसटी से पहले वाली स्थिति में यानी 7.5 प्रतिशत ही रखी जाए।
भारत के परिधान निर्यात में अक्तूबर में मूल्य की दृष्टि से 39 प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि एक अक्तूबर से शुर होने वाले कपास वर्ष में भारत का कपास उत्पादन 3.77 करोड़ गांठ रहा है जो इससे पिछले 2016-17 के कपास वर्ष में 3.45 करोड़ गांठ था। कपड़ा मंत्रालय के अनुसार आयात के विकल्प बाइवोल्टाइन रेशम का देश में उत्पादन 2017-18 में बढ़कर 620 टन होने की उम्मीद है जो 2016-17 के 526.6 टन से 19प्रतिशत अधिक है। हालांकि 2017 कपड़ा क्षेत्र के लिए एक मिश्रित साल रहा, जहां बिजली करघा और बुनकरों के लिए कई पहले शुर की गई वहीं बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय कपड़ा नीति अभी तक सामने नहीं आ पायी है। साल के अंत तक आते-आते सरकार ने कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए 1300 करोड़ रुपये की योजना शुर की। इसका लक्ष्य क्षेत्र में कौशल विकास को बढ़ाना।