तीन माह बाद भी अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं

Update: 2017-03-06 00:00 GMT

ग्वालियर| शहर जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष डॉ.दर्शन सिंह के निधन के तीन माह बीत जाने के बाद भी शहर जिला कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष अब तक नहीं चुना गया है। कई कांग्रेस नेता दबी जबान से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं कि अब तक जिलाध्यक्ष नहीं चुन पाए प्रदेश में सरकार कैसे बनाएंगे। यह नेता अपनी पार्टी के बड़े नेताओं द्वारा की जा रही उपेक्षा और नई कार्यकारिणी का चुनाव न कराने से टूट चुके हैं।

 सूत्र बताते हैं कि वरिष्ठों का इस तरफ ध्यान न देना ही पार्टी को अलग-थलग कर रहा है। बताया जाता है कि सबसे ज्यादा पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट के नेता दुखी हैं।  सिंधिया गुट के खास समझे जाने वाले एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सब अपनी दुकानदारी करने में लगे हुए हैं। उनको(सिंधिया)  भी अब हमारी चिंता नहीं है। वे हमारी सुध लेने को तैयार नहीं हैं। फोन करते हैं तो सूचना मिलती है कि साहब अभी व्यस्त हैं। ऐसे में अपनी समस्या किसको बताएं?

बता दें कि डॉ.दर्शन सिंह के निधन के बाद से कांग्रेस पार्टी बेदम सी होती दिखाई दे रही है। डीसीसी के पदाधिकारियों का मन आंदोलनों और पार्टी को आगे ले जाने में दिखाई नहीं देता प्रतीत हो रहा है। जिस प्रकार से पांच साल तक लगातार दिवंगत नेता ने सड़कों पर रहकर पार्टी में धरना,प्रदर्शन और आंदोलन कर प्रदेश भर में पार्टी की छवि को एक नया आयाम दिया था। वहीं पूरी कार्यकारिणी का मन पार्टी को आगे ले जाने में नहीं लग रहा है। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि पार्टी में नये अध्यक्ष की नियुक्ति का न होना ही पार्टी को नुकसान पहुंचा रहा है। इनका मानना है कि जब तक जिलाध्यक्ष की घोषणा नहीं होगी तब तक नेताओं और कार्यकर्तार्ओं में जोश नहीं आएगा।

गुटबाजी से हो रहा नुकसान
बताया जाता है कि कुछ नेता तो सिर्फ शहर जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित धरना प्रदर्शनों में इसलिए आते हैं कि उनका फोटो और नाम अखबारों में छप सके। इन नेताआें का कांग्रेस पार्टी से कोई लेना देना नहीं है । सिर्फ अपनी राजनीति की दुकानदारी चलाना है। वहीं जो लोग पार्टी में अपना योगदान दे रहे हैं उनकी यह बुराई करते हैं। इसी खेमेबाजी के चलते गुटबाजी अपनी चरम सीमा पर दिखाई दे रही है।

कैसे होगा मिशन 2018 का सपना पूरा
बता दें कि हाल ही में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भोपाल विधानसभा का घेराव किया था। इसमें शहर के कांग्रेसी नेता भी बड़ी संख्या में यहां से गए थे। घेराव के दौरान सभी नेताओं ने मिशन 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार लाने की घोषणा की थी। उस समय तो इन नेताओं में जोश भर गया था,लेकिन उसके बाद यह सभी नेता फुस्स साबित होते दिखाई दे रहे हैं। एक नेता बताते हैं कि पूर्व जिलाध्यक्ष की जिस टीम ने अन्य राजनैतिक दलों को पांच साल तक आंदोलनों से भयभीत कर रखा था,वह टीम भी अब बिखराव की स्थिति में आती दिखाई दे रही है।

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