ध्येय के बिना जीवन सफल नहीं: शैला ताई

Update: 2017-04-01 00:00 GMT

राष्ट्र सेविका समिति ने मनाया नवसंवत्सर उत्सव, शैला ताई की पुस्तक ‘कथा बोधामृत’ का विमोचन
ग्वालियर|
हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई ध्येय होना चाहिए। ध्येय के बिना जीवन सफल नहीं है। जीजा माता ने बचपन में शिवाजी के सामने हिन्दू साम्राज्य की स्थापना का ध्येय रखा। इसी ध्येय के कारण छत्रपति शिवाजी का निर्माण हुआ। हमारे क्रांतिकारियों ने अपने मन में यदि देश की स्वतंत्रता का ध्येय नहीं रखा होता तो क्या हमारा देश स्वतंत्र हो पाता, इसलिए सभी बहनों के जीवन में भी कोई न कोई ध्येय होना चाहिए।

यह बात राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सह कार्यवाहिका श्रीमती शैला ताई काकिर्डे ने शुक्रवार को राष्ट्रोत्थान न्यास भवन के विवेकानंद सभागार में राष्ट्र सेविका समिति द्वारा आयोजित नवसंवत्सर उत्सव में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राज्य महिला आयोग की सदस्य श्रीमती प्रमिला वाजपेयी उपस्थित थीं। अध्यक्षता राष्ट्र सेविका समिति की महानगर कार्यवाहिका श्रीमती महिमा तारे ने की। इस अवसर पर ॐ की सामूहिक ध्वनि के बीच श्रीमती शैला ताई द्वारा संकलित कहानी संग्रह ‘कथा बोधामृत’ का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर श्रीमती शैला ताई ने कहा कि राष्ट्र सेविका समिति एक विचार है, जो संस्कृति और संस्कारों के माध्यम से विचार देती है। जब एक विचार, एक उचार और एक आचार आपस में मिल जाते हैं, तब संगठन शक्ति का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि सन् 1936 में वंदनीय मौसीजी श्रीमती लक्ष्मीबाई केलकर ने जब राष्ट्र सेविका समिति की नींव रखी थी, तब उनका उद्देश्य यही था कि जब बहनों में स्वराष्ट्र, स्वधर्म, स्वभाषा, स्वसंस्कृति और स्वावलम्बन का भाव जाग्रत होगा तभी देश के प्रति प्रेम और स्वाभिमान जागेगा। इन पांच बातों को जब हम सभी अपने जीवन में अपनाएंगे तभी हम संगठित हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि यही पांच विषय हम कहानियों के माध्यम से अपने बच्चों को सुनाएं तो निश्चित रूप से बच्चे देश भक्त और एक अच्छे नागरिक बनेंगे। इसी उद्देश्य से उन्होंने समिति के 80 वर्ष पूर्ण होने पर कथा बोधामृत पुस्तक तैयार की है।

मुख्य अतिथि श्रीमती प्रमिला वाजपेयी ने कहा कि बच्चों के लिए रुचिपूर्ण साहित्य और बड़ों के लिए गंभीर साहित्य हमारे परिवारों में समाप्त होता जा रहा है, जिससे ज्ञान वृत्ति भी कम होती जा रही है। हमें बाल सुलभ मन का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि बौद्धिक श्रेष्ठता मनुष्य के लिए सर्व प्रथम है। उन्होंने कहा कि हमें सुरुचिपूर्ण साहित्य के माध्यम से बाल सुलभ मन पर ऐसे संस्कार अंकित करना होंगे, जो बच्चों को देश भक्त बनाएं। उन्होंने कहा कि शैला ताई जी ने अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से हम सभी को एक ऐसी पुस्तक प्रदान की है, जिसकी हमारे परिवारों पर अमिट छाप पड़ेगी। उन्होंने उपस्थित सभी बहनों से समाज के प्रति संकल्पित होकर कार्य करने का आह्वान करते हुए कहा कि जन कार्य ईश्वरीय कार्य है। नए साल में हमें नवलय, नव तरंग, नव उमंग और नव संकल्प के साथ राष्ट्रहितों को ध्यान में रखकर कार्य करते रहना है।  

प्रारंभ में ध्वज प्रार्थना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात श्रीमती शैला ताई ने मुख्य अतिथि श्रीमती प्रमिला वाजपेयी का स्वागत किया। अतिथियों का परिचय बौद्धिक प्रमुख श्रीमती रितु नामधारी ने दिया। ग्वालियर विभाग कार्यवाहिका श्रीमती अंजली हार्डीकर ने अतिथियों का स्वागत किया। श्रीमती मीनू अग्निहोत्री ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी। श्रीमती गरिमा चौपड़ा ने एकल गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन विनीता जैन ने किया। अंत में राष्ट्रगीत वंदेमातरम गायन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में राष्ट्र सेविका समिति से जुड़ी बहनें उपस्थित थीं। 

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