नई दिल्ली। जापान ने आधिकारिक तौर पर उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में चल रहे विभिन्न विकासशील और आगामी विकास और बुनियादी ढांचे परियोजनाओं के लिए मदद की पेशकश की है। जापान के भारत के राजदूत केनजी हिरामात्सू ने औपचारिक रूप से उत्तर पूर्वी क्षेत्र (डीओईईआर), एमओएस पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह से मुलाकात की।
बुधवार को जापान के राजदूत ने पूर्वोत्तर में निवेश करने के लिए केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को अपनी जापान सरकार के मदद प्रस्ताव से अवगत कराया और नए उद्यमों के लिए किसी भी अन्य व्यावहारिक समर्थन की पेशकश की। उन्होंने कहा कि भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में विशाल क्षमता है और जापान आर्थिक रूप से और अलग-अलग स्तरों पर एक भागीदार के रूप में खुद को जोड़ना चाहेगा।
जापान के राजदूत केनजी हिरामात्सू के मुताबिक, पूर्वोत्तर में निवेश करने वाले जापान के पसंदीदा राज्य असम हैं, उसके बाद मणिपुर और नागालैंड हैं। उन्होंने कहा कि व्यापार और उद्यमशीलता के हित के अलावा, जापान की सरकार का इस क्षेत्र के साथ एक ऐतिहासिक भावनात्मक संबंध है क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लगभग 30,000 जापानी सैनिक इस क्षेत्र में शहीद हुए थे।
डॉ जितेंद्र सिंह ने जापान सरकार द्वारा की गई पेशकश की सराहना की और कहा कि उनका मंत्रालय उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सड़कों और पुलों के निर्माण में जापानी संसाधनों की मदद की उम्मीद करेगा। साथ ही ब्रह्मपुत्र नदी में बंगाल की खाड़ी तक अंतर्देशीय जलमार्गों के विकास और पूर्वोत्तर में "स्टार्ट-अप" के लिए जापानी साझेदारी का उपयोग किया जा सकता है।