तो...इसीलिए नहीं आ पाया टॉप टेन की श्रेणी में ग्वालियर स्टेशन

Update: 2017-05-26 00:00 GMT

-आरक्षण कार्यालय के शौचालय को देखकर बाहर निकल जाते हैं यात्री
-सफाई ठेकेदार नहीं करवा पा रहे रेलवे स्टेशन की सफाई

ग्वालियर| रेलवे के द्वारा रेलवे स्टेशनों को आधुनिक बनाने और साफ सुथरा रखने के लिए विभाग ने स्टेशनों को ग्रेड की श्रेणी में मापना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों रेलवे द्वारा किए गए सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश का कोई भी रेलवे स्टेशन टॉप टेन की सूची में अपना स्थान नहीं बना पाया था। इस सर्वे में ग्वालियर रेलवे स्टेशन भी 41वें नम्बर पर ही अपनी आमद दर्ज करवा पाया। ग्वालियर रेलवे स्टेशन के ग्रेड में पिछड़ने का कारण साफ सफाई का अभाव तथा संबंधित अधिकारियों की सुस्ती माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को साफ सुथरा बनाने के लिए स्वच्छ भारत- स्वस्थ भारत मिशन चला रहे हैं। मिशन के तहत रेलवे स्टेशनों पर खास फोकस किया जा रहा है लेकिन रेलवे स्टेशन पर मिशन की हवा निकलती दिखाई दे रही है। रेलवे स्टेशन पर पसरी गंदगी लोगों को यह बताने के लिए काफी है कि विभागीय अधिकारी इस मिशन के प्रति कितने समर्पित हैं। स्टेशन पर जगह-जगह गंदगी व कूड़ा करकट फैला रहता है। रात को रेलवे परिसर को शौचालय बना दिया जाता है, जिससे लोग बदबू से परेशान हो जाते हैं। इतना ही नहीं, जगह-जगह पान और गुटखे की पीक दिखाई देती हैं। रेलवे परिसर के अलावा आसपास भी गंदगी के ढेर लगे हैं। यदि कोई रेलवे का अधिकारी निरीक्षण के लिए आता है तो तत्काल रेलवे स्टेशन की साफ-सफाई करा दी जाती है।  आरक्षण कार्यालय में महीनों से नहीं हुई सफाई रेलवे स्टेशन के आरक्षण कार्यालय की हालत यह है कि वहां पर पसरी गंदगी को देख आने वाले यात्री बाहर जाने को मजबूर हो रहे हैं। इस कार्यालय में बने शौचालय में महीनों से सफाई नहीं है जिसके चलते यात्री परेशान होते नजर आते हैं। लेकिन सफाई ठेकेदार के कर्मचारी यहां पर कभी झांकने नहीं आते।

अधिकारियों के आने से पहले हो जाती है सफाई
ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर जब कोई अधिकारी निरीक्षण के लिए आते हैं,उसी समय रेलवे के सफाई ठेकेदार द्वारा सफाई की जाती है। बाकी समय तो प्लेटफार्म हो या फिर शौचालय कही भी सफाई नहीं होती। यहां तक कि जब अधिकारी निरीक्षण करते हैं तो उनके आगे दो सफाई कर्मचारी रहते हैं जिससे पहले ही वह कर्मचारी गंदगी को साफ कर देता है|

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