ग्वालियर। ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर लगे कोच इंडिकेटर यात्रियों को राहत देने की जगह परेशानी का कारण बन रहे हैं। इंडिकेटर कोच की संख्या जहां बताता है, कोच उससे दूसरी जगह आता है। इससे एन वक्त पर यात्री सामान समेत ट्रेन में चढ़ने की कोशिश करते हैं। इस हड़बड़ाहट में किसी दिन कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। रेलवे द्वारा रेलवे स्टेशन को आधुनिक रेलवे स्टेशन बनाने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे परे है।
प्लेटफार्म पर यात्रियों की सुविधा के लिए कोच इंडिकेटर तो लगाए गए थे। लेकिन मंगलवार को ग्वालियर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म क्रमांक चार पर शाम को 5.33 पर ताज एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से 43 मिनट की देरी से ग्वालियर पहुंची,तो डिसप्ले पर ट्रेन नंबर और कोच संख्या लिखी आने लगी। लेकिन ट्रेन जब प्लेटफार्म पर पहुंची तो कोच संख्या गलत मिली। इंडिकेटर में कोच संख्या डी-1 की जगह डी-7 डिसप्ले हो रहा था, वहां मौजूद दैनिक यात्रियों ने बताया कि यह तो रोज की कहानी है। इंडिकेटर कोच को कहीं बताता है लेकिन कोच आता कहीं और है। सिटी सेंटर निवासी क्रिश द्विवेदी ने बताया कि मंगलवार को वह अपनी मां को छोड़ने रेलवे स्टेशन गए थे, ट्रेन के आने से पहले डिसप्ले के मुताबिक स्थान पर खड़े हो गए। जब ट्रेन प्लेटफार्म पर आई तो कोच नंबर ही गलत निकला आनन फानन में वह सामान लेकर किसी तरह ट्रेन में सवार हो पाए।
डाटा नहीं मिलने से डिसप्ले बाधित
डाटा नहीं मिलने से डिसप्ले बाधित होता है। इस मामले में कई अधिकारियों ने बताया कि जो ट्रेन ग्वालियर या झांसी मंडल से बनती हैं, उनका कोच क्रम उन्हें मालूम रहता है। लेकिन अन्य मंडलों से आने-वाली गाड़ियों का कोच इंडिकेशन वहां से आने-वाले डाटा पर निर्भर करता है। कई बार बीच में ट्रेन का इंजन बदलने की स्थिति में भी बोगियों का क्रम उलट जाता है। बोगी काटने और जोड़ने की स्थिति में भी इनका क्रम बदल जाता है। यदि बदली हुई सूचना नहीं दी जाती तो कोच इंडिकेशन संभव नहीं होता या गलत हो जाता।